माईकल सैनी

बुजुर्गों की सहायक पेंशन योजना समाप्त करने वाली मुहिम के प्रथम चरण में ही 21 हजार बुजुर्गों का हक़ मारने की ठान ली है खट्टर सरकार ने , उनकी सरकार में समाजिक न्याय एवं सहकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव ने उदाहरण देते हुए बताया कि जिन परिवारो की कुल आय दो लाख से अधिक है उन बुजुर्गों को पेंशन योजना में लाभार्थी नहीं बनाया जा सकता है !

परिवार पहचान पत्र बनाते समय किए गए सेल्फ डिक्लरेशन को ही आधार मानकर निर्णय लेने वाले मंत्री ने कार्य तो असमाजिक एवं अन्याय मंत्री के तौर पर ही किया है – व्यापार ,मजदूर ,किसान , पिछड़े और दलित विरोधी तो साबित हो चुकी थी सरकार अब बुजुर्ग विरोधी निर्णय लेकर साबित क्या करना चाहती है ?

वृद्धावस्था पेंशन योजना बुजुर्गों के सम्मान भत्ते के रूप में दी जाने वाली उपहार राशि है जिसकी बदौलत हमारे बुजुर्गों को किसी के भी आश्रित नहीं रहना पड़ता है मगर सरकार है कि उन्हें फिर से बच्चों के आगे हाथ फैलाने और पाई-पाई को मोहताज कर देखना चाहती है परन्तु क्यों – क्या सरकार पर कर्ज अधिक हो गया , दिवालिया घोषित होने वाली है ,कमाई नहीं कर पा रही हैं या स्वम् उसके भूखों मरने की नोबत आ रही है ? यदि ऐसा है तो इस दुर्भाग्य को लिखने का श्रेय भी खट्टर सरकार को ही जाता है क्योंकि जिस दिन से वृद्धावस्था पेंशन लागू हुई थी उस दिन से बढ़ने ही लग रही थी कभी कम नहीं हुई थी मगर यह सरकार खत्म करने पर आमादा है क्यों ?

प्रदेश खुशहाल था और कोई समस्या भी नहीं थी सरकारों को पेंशन देने में मगर इस निर्णय के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश की स्तिथि अब पहले जैसी नहीं रही ।

रही बात खर्च कम करने की तो सदन चल ही रहा है कर देते कानून पास किसी भी पूर्व जनप्रतिनिधि को पेंशन नहीं दी जाएगी और मौजूदा विधायकों को मिलने वाले गैरजरूरी भत्ते काटे जाएंगे , उनकी गाड़ियां कम कर दिन में हज्जारों लीटर तेल के खर्च को कम किया जाएंगा , उन्हें मिलने वाले फ़ोनबिल्स खत्म होंगे , प्राइवेट हॉस्पिटलों का खर्च बीमा कंपनियों को दिया जाएगा बीमित कराकर ? वो सब नहीं किया जो बहुत अधिक था इन बुजुर्गों को मिलने वाला उनका हक अखर गया – इस बात को यूँ भी समझा जा सकता है कि अपने नाखून तक नहीं काटे और बुजुर्गों का गला काटने निकल पड़े , वाह भई वाह बहुत बढ़िया निभा रहे हो सबका साथ सबका विकास वाला नारा ? माना धक्केशाही का प्रतीक बन चुकी है खट्टर सरकार मगर इतना भी अन्याय मत करो कि जनता इस सरकार को ही धक्का देकर बाहर निकाल फेंके ।

तरविंदर सैनी (माईकल) आम आदमी पार्टी नेता गुरुग्राम का कहना है कि हरियाणा सरकार के पास न तो कोई नीति है ना नियत है और ना ही इच्छा शेष है प्रदेशवासियों के हित में कैसी भी योजनाएं बनाने की और उनपर अमल करने की , ऐसी असंवेदनशील सरकार जो बार-बार लोगों का कर रही तिरस्कार प्रदेश का दुर्भाग्य ही लिख सकती है – यदि इनके स्थान पर आम आदमी पार्टी की सरकार होती तो वृद्धावस्था पेंशन रुपए पूरे पाँच हजार लागू कर उनके घर पर पहुंचा आती ।।

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