हरियाणा प्रदेश में महिला कांग्रेस का नया जम्बो संगठन देख कर लगता है कि, पार्टी प्रदेशाध्यक्षा कुo शैलजा ने अपनी जय बोलने वालों की एक फौज तैयार कर ली है।

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम।  यहां बड़ी बात ये है कि कुo शैलजा का खुद का कोई प्रदेश में संगठन नही है, किन्तु महिला कांग्रेस में दर्जनों प्रदेश महासचिव व सचिव के पदों के रूप में खूब रेवड़ियां बांटी गई हैं। इतने ज्यादा पदों को देखकर तो लगता है कि महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद भी चार या पांच तो सृजित किये ही जा सकते थे। क्योंकि दया की पात्र बनी शैलजा के पास न तो जिला अध्यक्ष हैं और न ही सचिव या महासचिव, फिर वो कम से कम महिला संगठन पर ही अपना नियंत्रण करके शायद अपना वर्चस्व प्रदेश में साबित कर सके। क्योंकि कॉन्ग्रेस के दर्जनों संगठनों व प्रकोष्ठों में से ले देकर महिला संगठन व युवा कांग्रेस संगठन ही जमीनी धरातल पर दिखाई देते हैं। बाकी कॉन्ग्रेस सेवादल, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन व कानून प्रकोष्ठ जैसे अनेक प्रकोष्ठ बिन पानी के तड़फती हुई मछली की भांति अपनी अंतिम सांसे लेते दिखते हैं।

हाल ही में महिला प्रदेश कांग्रेस द्वारा जारी की गई नई नियुक्तियों की सूची को देखें तो इसमें पदों की तो भरमार है लेकिन जब हमारे संवाददाता द्वारा इनकी पड़ताल की गई तो इनमे बहुत सी पदाधिकारी तो ऐसी थी जिन्हें उनके गृह जिले की ही पदाधिकारी न जानती हैं न पहचानती हैं। जब हमारे संवाददाता ने इस बारे गहराई से जानकारी जुटाई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। मुख्य रूप से तो ये की इन नियुक्तियों में जमकर कर गुटबाजी चली और अपने चहेतों को सैट किया गया। हुड्डा ग्रुप से नजदीकी रखने वाली मेहनती पदाधिकारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

बातें करने पर दबी जुबान से कई महिला पदाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक मात्र महिला संगठन ही है जिसके माध्यम से पार्टी प्रदेशाध्यक्षा अपनी पकड़ बनाये रखना चाहती हैं, अन्यथा प्रदेश के युवा कांग्रेस में भी वो अपना कोई भी किसी भी प्रकार का चाह कर भी दखल नही दे पा रही।

संवाददाता द्वारा की गई गहरी पड़ताल में सामने आया कि महिला कांग्रेस की इस नई सूची में पार्टी की गुटबाजी, पैसों का खेल व अपने चहेतों को खुश करने की पैंतरेबाजी खूब चली। प्रदेश में इस आधी आबादी बुलन्द आवाज के सहारे अपनी जय बोलने वाली टीम तैयार करने के लिए हुड्डा परिवार से नजदीकियां रखने वाली महिला पदाधिकारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जिससे आक्रोशित होकर कुछ महिला नेत्रियों ने जल्द ही पार्टी से इस्तीफा तक देने की कही है।

पार्टी संगठन में शामिल की गई नई पदाधिकारियों के चयन के लिए कोई मापदंड निर्धारित नही किये गए, केवल एक ही शर्त रही कि वो पार्टी के प्रति नही बल्कि व्यक्तिविशेष के प्रति निष्ठा व समर्पण रखे। इसी आधार पर व्यक्तिगत की जय न बोलने वाली पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

यहां तमाम बातों व तथ्यों पर विचार करने के उपरांत एक बात सामने आती है कि पार्टी का सर्वोच्च राष्ट्रीय नेतृत्व जहां ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति में आने व लाने की वकालत करता है वहीं स्वयं पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी महिलाओं के हक़ और अधिकारों की लड़ाई लड़ने की बात कहते हुए यूपी के आगामी विधानसभा के चुनावों में ‘मैं लड़की हूँ, मैं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया तथा महिलाओं को टिकटों में भी 40 फीसदी भागेदारी देने का जनता को वचन दिया, जबकि पार्टी से जुड़ी महिलाओं की क्या हालत है वो इससे सहज ही समझा जा सकता है।

हरियाणा प्रदेश के गत विधानसभा चुनावों में 90 में से केवल 8 महिला प्रत्याशियों को ही चुनाव मैदान में उतारा और ये 8 महिलाएं भी वो थी जो प्रदेश महिला कांग्रेस से नही जुड़ी हुई थी। इससे साफ लगता है कि प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी के 33 फीसदी राजनीतिक महिला आरक्षण की ड्रीम सोच को प्रदेश नेतृत्व ही पलीता लगा रहा है, और अजीब विडंबना देखें कि ये सब तब है जब देश और प्रदेश का नेतृत्व महिला ही कर रही हैं।

जब हमारे संवाददाता ने पार्टी प्रदेशाध्यक्षा से इस बारे बात करनी चाही तो उन्होंने अपने मोबाइल का स्विच ऑफ कर लिया।

पार्टी प्रदेशाध्यक्षा रहते हुए अपने कार्यकाल की कोई ठोस उपलब्धि गिनाने में असफल कुo शैलजा महिला कांग्रेस संगठन के नाम पर तो इतरा रही है किंतु खुद के संगठन में कितने महासचिव, कितने सचिव हैं ये गिनाने में नाकाम हैं।

महिला कांग्रेस संगठन की नई सूची साबित करती है कि प्रदेश नेतृत्व को पार्टी के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की नही बल्कि खुद की जय बोलने वाले लोगों की जरूरत है।

संगठन किसी भी पार्टी के लिए रीढ़ की हड्डी होता है, बिना रीढ़ के मानव शरीर की क्या हालत होती है, उससे हर कोई वाकिफ है। यही हालत बिना संगठन के राजनीतिक दलों की होती है। संगठन को गति न देने के नाम पर ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को अपना पद गंवाना पड़ा था, और हालात आज भी जस की तस है, फिर अब शैलजा का भविष्य क्या रहेगा ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

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