–कमलेश भारतीय उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले वही हथकंडे अपनाये जा रहे हैं जो पश्चिमी बंगाल में भी अपनाये गये थे । पश्चिमी बंगाल में भी ममता बनर्जी के करीबी अभिषेक बनर्जी के कार्यालयों में बड़े स्तर पर छापे लगवा कर उसे काफी भ्रष्टाचारी साबित कर ममता बनर्जी की इमेज खराब करने की कोशिश की गयी थी । निकला कुछ भी नहीं और ममता बनर्जी चुनाव जीत गयीं प्रचंड बहुमत से । अब अभिषेक पर कोई कार्यवाही नहीं । सब शांत । इसी प्रकार अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों पर छापे मारे जाने के समाचार आ रहे हैं । पहले लाल टोपी पर प्रधानमंत्री का यह कहना कि लाल टोपी खूनी है , बहुत सद्भावना वाला नहीं था और अब लाल टोपी वालों पर छापे ? क्या साबित करते हैं ? क्या भाजपा ने सचमुच सभी एजेंसियों को सीबीआई की तोते बना लिया है ? हर एजेंसी चुनाव में अपनी भूमिका निभाने आती है । पहले इन बातों की खबर क्यों नहीं ली जाती ? राजस्थान में सरकार पलटने की कोशिश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों पर छापे मारे गये थे । क्या उसके बाद वे सभी सही पाये गये ? क्या छापे दहशत फैलाने के लिए या दबाब बनाने के लिए ? दूसरा दृश्य जो आम कर दिया है भाजपा ने कि हर राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले दलबदल करवाया जाता है । पश्चिमी बंगाल में भी यही दृश्य बड़े स्तर पर फिल्माया गया और लगा कि ममता बनर्जी तो गयी लेकिन हुआ एकदम उलट । चुनाव परिणाम के बाद वही लोग धीरे धीरे तृण मूल कांग्रेस में वापसी करने लगे हैं और उनका भाजपा से मोहभंग हो गया है । कहां नहीं होता यह दृश्य ? हर राज्य में होता है । इसीलिए तो सर्वेक्षण कहता है कि सत्तर प्रतिशत कांग्रेसी भाजपा में शामिल हुए और उनके दम पर ही सरकारें बना कर कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का नारा बुलंद किया जा रहा है । पहले भाजपा को तो कांग्रेस बनाना बंद कीजिए न । फिर स्वर्गीय अरूण जेटली जी ताना मारा करते थे कि कांग्रेस अपना घर संभाल कर न हों रखती तो हम क्या कर सकते हैं ? कमाल का तर्क था । यदि आप खरीद फरोख्त को बढ़ावा देंगे तो कोई अपना घर कैसे सुरक्षित रख सकता है और कब तक ? दिल्ली में भी आप के विधायकों को अपने पाले में लाया गया लेकिन बात बनी नहीं । अभी पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले अकाली दल में सेंध लगाई है मनजीत सिंह सिरसा को भाजपा में लाकर । अभी चुनाव से पहले तक प्रेम सिंह चंदूमाजरा पर भी डोरे डाले जा रहे हैं । हो सकता है कुछ कांग्रेसी भी या तो कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ या फिर भाजपा के साथ जाने की घोषणा करें । आप पार्टी के सांसद व हास्य कलाकार भगवंत मान ने भी आरोप लगाया कि उन्हें मुहमांगी कीमत व ऊंचा पद देने की पेशकश कर भाजपा में आने का न्यौता दिया गया लेकिन कोई उन्हें खरीद नहीं सकता । यह है चेहरा भाजपा का चुनाव से पहले , इसे आइने में अच्छी तरह देख परख ले और अपनी कार्य शैली, रणनीति और जुगाड़ू राजनीति से अलग कुछ नया सोचे व करे तो बड़ी पहल होगी ।-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation महिला सशक्तिकरण में सरकार व न्यायपालिका के साथ-साथ समाज की भी अहम भूमिका : न्यायमूत्र्ति सूर्यकांत टेस्ट पास कर चुके आईटीआई अनुदेशक तनाव के दौर में