-विश्व की अनेक संस्कृतियां ज्ञान के अभाव में मिट गई हैं, लेकिन भारत की संस्कृति का आधार गीता का ज्ञान है:प्रो. विकास शर्मा– गीता में भक्ति कर्म योग, सांख्यिक योग 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में मिलता है:राकेश महता नारनौल,12 दिसम्बर। आजादी के अमृत पर्व महोत्सव पर मनाए जा रहे श्रीमद्भगवत गीता महोत्सव के तहत श्री गौड़ ब्राह्मण सभा नारनौल में संयुक्त भारतीय धर्म संसद हरियाणा प्रांत द्वितीय द्वारा गीता महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. विकास शर्मा ने की। इस मौके पर कुलपति प्रो. टंकेश्वर शर्मा ने कहा कि गीता ग्रंथ हमें जीवन जीने की राह व संस्कार सिखाती है। श्रीमद्भगवत गीता दुनियां का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। आज गीता दुनियां को अध्यात्मक, संस्कृति व धर्म के कारण मानवता को जीने की प्रेरणा देती है। साथ ही हमें कर्म करने की प्रेरणा भी देती है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा विश्व गुरु रहा है। भगवान श्री कृष्ण ने हरियाणा की धरती कुरुक्षेत्र पर गीता का संदेश दिया। मनुष्य जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल भोगेगा। मनुष्य को सुखी जीवन जीने के लिए गीता को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। गीता किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं, यह विश्व व्यापी सार है। समाज में जितने विवाद, बुराई, ईर्ष्या, द्वेष, विश्व की कोई समस्या का समाधान, गीता में है। उन्होंने कहा कि भागवत गीता से मनुष्य को कर्म करने का संदेश मिला है। जिससे पूरे विश्व में ज्ञान का सखानंद हो रहा है। उन्होंने कहा कि गीता महोत्सव के जरीए राज्य सरकार द्वारा युवाओं को गीता का ज्ञान तथा हिंदुस्तान व हरियाणा की स्मृद्ध संस्कृति के बारे में अवगत कराया जा रहा है। जिससे युवा अपने देश व प्रदेश पर गर्व कर रहे हैं। इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. विकास शर्मा ने कहा कि भारत की सभ्यता व संस्कृति काफी प्राचीन है। विश्व की अनेक संस्कृतियां ज्ञान के अभाव में मिट गई हैं, लेकिन भारत की संस्कृति का आधार गीता का ज्ञान है। यह कभी नहीं मिटेगी तथा अनंतकाल रहकर दुनियां का मार्गदर्शन करती रहेगी। भारत की संस्कृति भगवान राव व कृष्ण के आचरण की अनुपालना करना है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता के रूप में जो शिक्षा देकर श्रोताओं को अवगत कराया और आधुनिक जीवन में उनका महत्व भी समझाया। इस अवसर पर संयुक्त भारतीय धर्म संसद हरियाणा प्रांत द्वितीय के प्रधान राकेश महता ने सभी अतिथियों का वहा पर उपस्थित लोगों से परिचय कराया तथा अपने सम्बोधन में कहा कि इस धरती पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया था कि हर संशय, भ्रांति, भ्रम, चुनौती का रास्ता, द्वंद, मानसिक शांति व कठिनाई दूर करने का ग्रंथ गीता है। गीता में भक्ति कर्म योग, सांख्यिक योग 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन कैसे जीना चाहिए यह गीता को पढ़ने व अध्यन करने से मिलता है। कार्यक्रम के दौरान समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को भी भगवान श्री कृष्ण का स्मृति चिह्न व पटका देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सटेज संचालन प्रो.पंकज गौड़ ने किया। इस मौके पर नारनौल बार के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट, गोबिन्द भारद्वाज,अर्जुनलाल एडवोकेट,मास्टर किशन लाल शर्मा, कृष्ण ठेकेदार,गोविंद,दिनेश शर्मा,नरेंद्र लाल शर्मा, अमित पांडे, अजय शर्मा, बनवारी लाल शर्मा, कृष्ण शर्मा एडवोकेट, सुनील गौड,ओमप्रकाश चौबे, विनय शर्मा, हेतराम, केदारनाथ गर्ग ,रामानंद अग्रवाल, सतीश गर्ग, जगमोहन गुप्ता, रतन लाल सैनी, हनुमान सिंह, पंकज गर्ग सीए, अंकित गर्ग सीए, नरेन्द्र झिमरिया, विजयपाल कौशिक व विनोद कौशिक सहित अनेक लोग मौजूद थे। Post navigation विधायक ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लिया फैसला या गुज्जर वोटों के दृष्टिगत सरकार का उद्देश्य है कि गीता का संदेश जन-जन तक पहुंचाना : डॉ अभय सिंह यादव