संतो के सदाचारी आचरण को सभी लोग करें आत्मसात.
महंत रामस्वरूप दास की पुण्य तिथि पर विशाल भंडारा

फतह सिंह उजाला

पटौदी । साधु-संतों के द्वारा सदैव समाज का मार्गदर्शन किया गया है । साधु, संतों, सन्यासियों का जीवन अपने आप में एक तपस्या है । तपस्या अथवा तप एक प्रकार से अग्नि के समान है । जैसे अग्नि ने तप कर सोना और अधिक निखरता है , उसी प्रकार से तपस्या और जप-तप करते हुए साधु संत सन्यासी का जीवन भी निखरता चला जाता है। साधु संतों के सदाचारी जीवन के गुणों को सभी अपने जीवन में आत्मसात करें। यह बात पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव इच्छापुरी में स्थित हनुमान मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास महाराज ने महंत श्री रामस्वरूप दास महत्योगी की 17 वीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित विशाल भंडारे के मौके पर कही।

गांव इच्छा पुरी के पौराणिक महत्व के शिव मंदिर के साथ ही हनुमान मंदिर में महंत राम स्वरूप दास महत्यागी की 17 पुण्यतिथि के मौके पर हवन यज्ञ का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर पटौदी, रेवाड़ी, गुरुग्राम, दिल्ली, राजस्थान के विभिन्न विख्यात मंदिरों के साधु संत महंत महामंडलेश्वर सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे । यज्ञ हवन में आहुतियां अर्पित कर श्रद्धालुओं ने पुण्य भी अर्जित किया । इसी मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन कर यहां पहुंचे अनेक साधु-संतों को भंडारा का प्रसाद का भोजन करवाते हुए महंत गोपाल दास महात्योगी के द्वारा दक्षिणा भी भेंट की गई।

इसी मौके पर महंत गोपाल दास महाराज ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में यथा सामर्थ पुण्य कार्य करते हुए हवन यज्ञ सहित दान भी करते रहना चाहिए । वेदों पुराणों सहित धर्म ग्रंथों में भी दान धर्म का विशेष महत्व बताया गया है । धार्मिक अनुष्ठान, हवन-यज्ञ इत्यादि करने से जहां वातावरण और पर्यावरण शुद्ध होता है । वही देवी देवताओं का आह्वान किया जाने से आत्म शुद्धि होने के साथ ही आत्मबल में भी वृद्धि होती है । इस मौके पर उन्होंने सभी के कल्याण की कामना करते हुए जीवन को सदाचारी बनाने का आह्वान किया।

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