सत्यवान सौरभ तुच्छ परिंदे ही सदा, करते हैं आवाज़ ।रहते सौरभ चुप मगर, उड़ते ऊँचे बाज़ ।।●●● सौरभ ऐसे लोग भी, कुछ है मेरे पास ।जिनके दिल में जहर है, और मुंह में मिठास ।।●●● ये भी कैसा दौर है, कैसा है उपहास ।अपनों से करते दगा, गैरों पे विश्वास ।।●●● मानवता के नाम पर, खूब छपे सौजन्य ।हुए बाजारू लोग भी, देखो सौरभ धन्य ।।●●● काम निकलते हो जहां, रहो उसी के संग ।सत्य यही बस सत्य है, यही आज के ढंग ।।●●● बगुले से बगुला मिले, और हंस से हंस ।कहाँ छुपाने से छिपे, तेरी संगत, अंश ।। Post navigation एचएयू का होम साइंस कॉलेज चलाएगा ‘चेरिटी ड्राइव’ अभियान फिर दूल्हे ने मांगी कार , दुल्हन ने लौटाई बारात