ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर सक्रिय राजनीति में करेगी पदार्पण

पटौदी विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ने की अटकलें.
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर है बुलबुल किन्नर.
शुक्रवार को तारा गिरी महाराज से लिया आशीर्वाद.
ट्रांसजेंडर अथवा किन्नर भी चुने जा चुके जनप्रतिनिधि

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 राजनीति एक ऐसा प्लेटफॉर्म है , जिस प्लेटफार्म पर यथासंभव और यथा सामर्थ सभी सक्रिय होना चाहते हैं । एक तरफ किसान आंदोलन की गहमागहमी है , दूसरी तरफ यूपी सहित पांचों राज्यों में चुनाव सिर पर आ चुके हैं । लेकिन हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए अभी कम से कम 3 वर्ष का समय बचा है । ऐसे में ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर ने सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने का फैसला किया है।

ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर की पहचान किन्नर अखाड़ा संबद्ध जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर बुलबुल के रूप में हैं । बीते महाकुंभ के दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के द्वारा किन्नर समाज को भी मान्यता प्रदान करते हुए किन्नर अखाड़े के रूप में स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के खिलाफ नामांकन कर चर्चा में आने वाली ट्रांसजेंडर किन्नर सोनम मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में ही योगी सरकार में किन्नर बोर्ड की उपाध्यक्ष बनाई गई है। सीएम योगी स्वयं किन्नर बोर्ड के अध्यक्ष हैं और यूपी में ट्रांसजेंडर सोनम किन्नर को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके अलावा भी विभिन्न स्थानों पर किन्नर जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों के द्वारा चुने गए हैं ।

जूना अखाड़े से संबद्ध किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बुलबुल किन्नर की अपनी एक अलग ही पहचान है। कोरोना कॉविड 19 जैसी महामारी के दौरान भी ट्रांसजेंडर बुलबुल के नेतृत्व में किन्नर समाज के द्वारा अपना आर्थिक सहयोग जनहित में किया गया । इसके अलावा बुलबुल किन्नर बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की है और सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे दिखाई देती हैं। विशेष रुप से गरीब बच्चों की शिक्षा और गरीब कन्याओं के विवाह शादी में उनका बड़े पैमाने पर योगदान होता है। शुक्रवार को फर्रूखनगर क्षेत्र में ही पहाड़ी वाले बाबा जो कि तारा गिरी महाराज के नाम से पहचाने जाते हैं, महामंडलेश्वर बुलबुल किन्नर ने तारा गिरी महाराज के आश्रम में पहुंच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हुए सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने की इच्छा जाहिर करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया । इस मौके पर बुलबुल किन्नर के शिष्य तथा आश्रम के सेवक के अलावा एडवोकेट संदीप यादव विशेष रूप से मौजूद रहे ।

गौरतलब है कि पटौदी विधानसभा क्षेत्र आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है। पटौदी विधानसभा क्षेत्र को सांसद अहीरवाल के क्षत्रप और केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ माना गया है। पटौदी विधानसभा क्षेत्र से ही 1967 में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह चुनाव जीतकर दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र से हरियाणा के पहले और अंतिम सीएम बनने वालों में शामिल हैं । अभी तक के पटौदी के राजनीतिक इतिहास पर और चुनावी परिणाम पर नजर डाली जाए तो यहां से अधिकांशतः वही उम्मीदवार एमएलए बनने में सफल रहे हैं, जिन्हें स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह का आशीर्वाद या फिर उनके बाद राव इंद्रजीत सिंह का समर्थन प्राप्त रहा हो । अपवाद स्वरूप 1-2 नाम ऐसे हैं जोकि अपने और पार्टी के वोट बैंक की बदौलत एमएलए भी बनने वालों में शामिल है ।

बहरहाल देखना यह है कि सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने वाली ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर जोकि सीधे-सीधे एक प्रकार से साधु संत समाज से संबंध रखने वाली है । उनके द्वारा चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही इस बात से इंकार नहीं कि विभिन्न राजनीतिक दलों और इन दलों के मुखिया की नजरों से बुलबुल किन्नर निश्चित रूप से ओझल नहीं रह सकेगी । सबसे अधिक जिज्ञासा का विषय यह है कि पटौदी विधानसभा सीट आरक्षित होने की वजह से ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर क्या चुनाव आयोग के द्वारा आरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की सभी शर्तों को पूरा करने में सक्षम है । वहीं सूत्रों की माने तो शुक्रवार को पहाड़ी वाले बाबा तारा गिरी महाराज से मुलाकात करने और आशीर्वाद लिया जाने से पहले अनेक प्रबुद्ध लोगों और नागरिकों के द्वारा भी ट्रांसजेंडर बुलबुल किन्नर से सक्रिय राजनीति में आने के मुद्दे को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई और इसी के उपरांत ही पॉलिटिकल प्लेटफार्म पर किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर बुलबुल किन्नर के द्वारा फैसला किया गया है। अब यह भविष्य के गर्भ में है कि कोई राजनीतिक पार्टी और पार्टी का मुखिया महामंडलेश्वर बुलबुल किन्नर से अपनी पार्टी अथवा दल में आमंत्रित करने की पहल करता है या फिर बुलबुल उस समय का इंतजार करती है । महामंडलेश्वर बुलबुल किन्नर के पॉलिटिकल प्लेटफार्म पर एक्टिव होने की घोषणा के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माहौल पर भी निश्चित ही प्रभाव पड़ना तय है।

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