बिजली मंत्री देखों विभाग की लापरवाही, मासूम की जान पर आफत

फर्रूखनगर में हरिजन बस्ती वार्ड 8 की चार वर्षीय करंट से झुलसी.
दिल्ली सफदरजग अस्पताल में जिदंगी और मौत से जूझ रही बच्ची.
बच्ची के परिजनों और चिकित्सकों की माने तो हालत चिंताजनक

फतह सिंह उजाला

पटौदी। फर्रूखनगर पालिका क्षेत्र में हरिजन बस्ती  वार्ड 8 निवासी एक चार वर्षीय नर्सरी की छात्रा यसिका को 1100 केवी बिजली करंट दौड़ती वायर ने अपनी चपेट में ले लिया। घर की छत के समींप गुजर रही 1100 केवी बिजली की वायर छूने सेचार वर्षिया बच्ची बुरी तरह से झुलस गई। बिजली के करंट से बुरी तरह झुलसी मासूम बच्ची-छात्रा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संर्घष कर रही है।

पीड़ित बच्ची के परिजनों और चिकित्सकों की माने तो नन्ही जान ही हालत अभी चिंताजनक बनी हुई। नन्ही बच्ची के साथ हुई दुर्घटना से फर्रूखनगर पालिका क्षेत्र में हरिजन बस्ती  वार्ड 8 की पूरी बस्ती में बिजली विभाग के प्रति गहरा रोष बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1100 केवी की बिजली की तारों को हटाने के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों को शिकायत की जा चुकी है। अगर बिजली की वायर घरों के पास से समय रहते पहले ही हटा दी जाती तो अब यह दुर्घटना नहीं घटती और न ही मासूम को मौत से संघर्ष करने के लिए तड़पना पड़ता।

बिजली के करंट से झुलसी चार वर्षीय छात्रा के पिता उमेश कुमार बोहडवाल ने बताया कि उसकी पुत्री यसिका जो एचसीआई जूनियर स्कूल बालाजी नगर में नर्सरी की छात्रा है।  23 नवम्बर की रात्रि वह घर की छत पर करीब 8 बजे खेल रही थी। घर के छज्जे के साथ से गुजर रही 1100 केवी की वायार से उसकों अचानक करंट लगा। वह मौके पर पहुंचे तो यसिका बुरी तरह से करंट लगने के कारण झुलस गई थी। उपचार के लिए स्थानीय बाला जी अस्पताल में ले गए। चिकित्सकों ने उसकी हालत नाजुक देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद गुरुग्राम सरकारी अस्पताल सैक्टर 10 में रैफर कर दिया। वहां से भी चिकित्सकों ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल  भेज दिया। उसकी बेटी यसिका की हालत में अभी तक कोई सुधार नहीं है। चिकत्सकों का कहना है कि करंट लगने से उसकी बेटी यसिका के हाथ की क्षति हो सकती है। उन्होंने बताया कि वार्ड 8 हरिजन बस्ती के मकानों के सामने से गुजर रही 1100 केवी की बिजली की लाइन को हटाने के लिए कई बार शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन बिजली विभाग के अधिकारियों के कानों पर कोई जूं तक नहीं रेंग रही है।

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