हरियाणा में इन-हाउस क्षमताओं को बढ़ाने एवं सुधारने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र से अनुभव एवं विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए एनआईएसजी के साथ पांच वर्षीय एमओयू हस्ताक्षरितकैबिनेट ने दी मंजूरी यह एमओयू वांछित परिणामों के लिए समाधान विकसित करने हेतु साझेदारी को सक्षम बनाएगा चंडीगढ़, 25 नवंबर-हरियाणा सरकार अपने विभिन्न विभागों के माध्यम से अपने नागरिकों को विभिन्न सेवाओं के सुचारू वितरण को कारगर बनाने के ठोस प्रयास कर रही है । विभाग अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार और योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा या युक्तिकरण कर रहे हैं, ऐसे में समयबद्ध तरीके से उच्च गुणवत्तापरक समाधान प्राप्त करने में योग्य सक्षम सलाहकारों, पेशेवरों और विशेषज्ञों की कमी एक चुनौती बन गई है। अत: कार्यक्रमों के लिए मिशन, विजन और लक्ष्यों को परिभाषित करने और विजन को हकीकत में बदलने की रणनीति तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट (एनआईएसजी) और राज्य सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई ताकि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र से अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त कर इन हाउस क्षमताओं में वृद्धि और सुधार किया जा सके। यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर करने की तिथि से पांच साल की अवधि के लिए मान्य होगा और इसे दोनों पक्षों की आपसी सहमति से आगे पांच साल तक बढ़ाया जा सकेगा। समझौता ज्ञापन के अनुसार, राज्य सरकार और एनआईएसजी पार्टियों का प्रतिनिधित्व करने और इंटरफेस को बढ़ावा देने के लिए नोडल अधिकारी के रूप में कॉरडिनेटर नामित कर सकते हैं ताकि समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों के कार्यक्रम की योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा की जा सके। परियोजनाओं या असाइनमेंट के लिए कार्य के पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जिसके लिए हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले संबंधित सचिवों, विभागाध्यक्षों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों, संगठनों, संस्थानों और निकायों द्वारा अलग-अलग शासी समझौतों को अलग से दर्ज किया जाएगा। सहयोगी गतिविधियों में शामिल दोनों संगठनों के विशेषज्ञ अपनी-अपनी संबंधित सुविधाएं प्रदान करेंगे। पार्टियां उनके बीच हुए समझौते के अनुसार सहयोगी परियोजनाओं से संबंधित सूचनाओं और दस्तावेजों का आदान-प्रदान भी कर सकती हैं। इस समझौता ज्ञापन के तहत संचालित सहकारी गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम गतिविधियों, प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग, विकास से संबंधित कार्यों पर अपडेट देेंंगे। पर्याप्त वित्त, मानवशक्ति, सामग्री एवं अन्य संसाधनों की उपलब्धता पर अपने दायित्वों एवं जिम्मेदारियों को पूरा करने का प्रयास करेंगे। विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों, संगठनों, संस्थानों और निकायों द्वारा एनआईएसजी को कार्य सौंपा जाएगा। इसके अलावा, पार्टियां सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों, संगठनों, संस्थानों और निकायों की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य में सहयोग के लिए एक रूपरेखा विकसित और स्थापित करने के लिए मिलकर काम करने का प्रयास करेंगी। इन कार्यों में रणनीतिक आईटी सलाहकार एवं प्रबंधन परामर्श, कार्यक्रम एवं परियोजना प्रबंधन, क्षमता निर्माण एवं ज्ञान प्रबंधन, मानवशक्ति संवर्धन एवं प्रतिभा अधिग्रहण, आपसी सलाहकार सेवाएं, समर्थन समीक्षा, नीतियों और किसी भी अन्य पेशेवर सेवाओं की तैयारी और कार्यान्वयन शामिल है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2002 में सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट (एनआईएसजी) की स्थापना एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में की गई थी और सचिव, केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। स्मार्ट गवर्नेंस, प्रक्रिया सुधार और डिजिटलीकरण में सरकारों की सहायता के लिए एनआईएसजी को ई-गवर्नेंस में उत्कृष्टता संस्थान के रूप में विकसित किया गया है। एनआईएसजी भारत में ई-गवर्नेंस पहलों में सबसे अग्रणी रहा है और इसने सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार एवं सेवा वितरण प्रणाली की स्थापना में योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों और व्यवसायों सहित अंतिम उपयोगकर्ताओं तक त्वरित एवं सरल सेवा वितरण सुनिश्चित हुआ है। Post navigation 17 दिसंबर से शुरू होगा हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र हमारी सरकार होती तो आज इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन जेवर में नहीं महम में हो रहा होता – दीपेंद्र हुड्डा