खट्टर सरकार में नौकरी पाने का तरीका – खर्ची, पर्ची से अब ‘‘रुपयों की अटैची’’ तक! रणदीप सिंह सुरजेवाला
खट्टर-चौटाला राज में HPSC बना – ‘‘हरियाणा पोस्ट सेल काउंटर’’! रणदीप सिंह सुरजेवाला

चंडीगढ़ – हरियाणावासियों के सामने अब एक बात साफ है – खट्टर साहब ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ के नारे लगाकर प्रदेश के करोड़ों युवाओं को सात साल से गुमराह करते रहे और हरियाणा में ‘‘नौकरियों की बिक्री की मंडी’’ चलती रही। भाजपा-जजपा सरकार में अब तो ‘‘खर्ची’’ भी ‘‘विकास का टॉनिक’’ पीकर ‘‘अटैची’’ में बदल चुकी है।

32 से अधिक ‘‘पेपर लीक व भर्ती घोटालों’’ को उजागर कर हम लगातार हरियाणा के युवाओं के साथ होते अत्याचार व चौतरफा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। HPSC – ‘Haryana Post Sale Counter’ के डिप्टी सेक्रेटरी व HCS अधिकारी, अनिल नागर, अश्विनी कुमार व अन्य की गिरफ्तारी के बाद अब साफ है कि हरियाणा में ‘नौकरी भर्ती और नौकरी बिक्री घोटाला’ देश के सबसे बड़े नौकरी घोटाले यानि ‘व्यापम घोटाले’ से भी बड़ा है।

मुख्यमंत्री, खट्टर जी ने 3 जुमले रटे हुए हैं – ‘मैरिट’, ‘पारदर्शिता’ और ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’। नौकरियां बिकें, पर्चे लीक हों, खाली ओएमआर शीट भरी जाएं, रोल नंबर एक दूसरे के पीछे लगाए जाएं और चाहे कुछ भी होता रहे, खट्टर साहब ये तीन जुमले उछालकर चलते बनते हैं।

हरियाणा के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की जिम्मेदारी व जवाबदेही मुख्यमंत्री – उपमुख्यमंत्री की है। प्रदेश के युवाओं की मांग है कि खट्टर जी – दुष्यंत चौटाला की जोड़ी जिम्मेवारी स्वीकारे व सिलसिलेवार बिंदुओं पर जवाब दे:-

  1. एचपीएससी यानि ‘हरियाणा लोक सेवा आयोग’ को ‘‘हरियाणा पोस्ट सेल काउंटर’’ बना दिया। साफ है कि हर भर्ती के रेट तय हैं। ₹25 लाख दो, डेंटल सर्जन बन जाओ। ₹20 लाख दो, एचसीएस का प्रिलिमिनरी पेपर पास कर लो। ₹1 करोड़ दो, एचसीएस लग जाओ। ₹50 लाख दो, नायब तहसीलदार लग जाओ।

ये बात हम नहीं कह रहे। इनके ही HPSC के उप सचिव, अनिल नागर, जो पिछले हफ्ते 1 करोड़ की नकदी लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, खट्टर साहब की विजिलेंस को ये जानकारियां दे रहा है।

  1. अनिल नागर तो खट्टर सरकार का चहेता अधिकारी था। वैसे उसे आप गठबंधन का प्रतिनिधि भी मान सकते हैं। अनिल नागर साल 2004 में चौटाला सरकार में भर्ती हुआ और 12 साल बाद साल 2016 में खट्टर सरकार ने उसे ज्वाईनिंग दी। हरियाणा बोर्ड से लेकर एचपीएससी तक लगातार उसे महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग मिलती रही। यह बिना किसी ‘बड़े आशीर्वाद’ के बगैर सम्भव नहीं।

सवाल तो ये है कि आईएएस स्तर के एचपीएससी सेक्रेटरी को दरकिनार करके सभी महत्वपूर्ण भर्तियों का प्रबंधन व सीक्रेसी की जिम्मेवारी केवल 4 साल पहले सर्विस ज्वाईन करने वाले इतने जूनियर एचसीएस अधिकारी को किसने, कैसे और क्यों दी?

  1. खट्टर सरकार ने भर्तियों में सुधार के नाम पर नौकरी लगाने वाले दोनों आयोगों व परीक्षाओं का परोक्ष रूप से निजीकरण कर दिया।

o प्राइवेट कम्पनियां पेपर बनवा रही हैं, प्राइवेट कम्पनियां ही सेंटर सम्भाल रही हैं।

o प्राइवेट कम्पनियां रोल नम्बर दे रही हैं, प्राइवेट कम्पनियां ही पेपर कंडक्ट कर रही हैं।

o प्राइवेट कम्पनियां ओएमआर शीट स्कैन कर रही हैं, प्राइवेट कम्पनियां रिज़ल्ट बना रही हैं।

o प्राइवेट कम्पनियां ही आंसर की में आपत्तियों पर फैसले ले रही हैं।

सब कुछ निजी कम्पनियों और इनके अश्विनी शर्मा जैसे ठेके के कर्मचारियों के हाथों में है, जिनका कोई दायित्व तय नहीं। ज्यादा हंगामा मच जाए तो एक कम्पनी ब्लैकलिस्ट हो जाती है और दूसरे नाम से नई कम्पनी बन जाती है और ठेके मिल जाते हैं।

अगर हमारे प्रदेश के युवाओं का भविष्य इन ‘‘नौकरियों के ठेकेदारों’’ ने निर्धारित करना है, तो खट्टर सरकार की ज़रूरत ही क्या है? सरकार की जिम्मेवारी व जवाबदेही क्या है?

  1. ‘डेंटल सर्जन’ जैसे लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पदों पर ₹25-25 लाख लेकर भर्तियां की जा रही हैं। आठ ओएमआर शीट में उत्तर भरने का कबूलनामा तो अकेले अनिल नागर और अश्विनी शर्मा विजिलेंस टीम को दे चुके हैं।

सवाल यह है कि कितनी और ओएमआर शीट इस प्रकार से भरी गई होंगी? क्या इनके साथ मिले और कम्पनी के बाकी लोगों ने अपना हिस्सा नहीं लिया होगा? नौकरी रिश्वत कांड का यह पैसा सरकार में किस-किस तक और कहां-कहां पहुंचा होगा?

  1. एचसीएस जैसी प्रदेश की सबसे बड़ी नौकरी की भर्ती में भी 24 कैंडिडेट्स के रोल नंबर नागर के पर्स से बरामद हुए और इनमें से 6 पास हुए हैं और 7 टॉपर्स की लिस्ट में हैं। बाकियों की जाँच चल रही है। यह सब ओएमआर शीट भरने के खेल से हुआ। डिप्टी सेक्रेटरी यह कबूलनामा तो खुद अनिल नागर का है। कमाल यह है कि जितनी ओएमआर शीट के बारे नागर ने बताया था, वह बरामद नहीं हुईं। अचरज की बात यह भी है कि नागर के कमरे के पीछे स्ट्राँग रूम की जिम्मेवारी भी कमीशन के आईएएस सचिव की बजाय खट्टर सरकार ने नागर को दे रखी थी। ऐसा क्यों? असलियत में कितनी और ओएमआर शीट भरी गईं, और कितने करोड़ रुपया रिश्वत में लिया गया?

क्या ये अंदर बैठकर ‘‘ओएमआर शीट’’ भरे जाने का ही चमत्कार है कि एचसीएस की प्रिलिमिनरी परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग और इतना मुश्किल पेपर होने के बावजूद आज तक के इतिहास में सर्वाधिक 68.5% मैरिट गई हुई है? सामान्य वर्ग में हरियाणा के 40% कैंडिडेट्स भी पास नहीं हुए और अनिल नागर जैसे लोगों ने 20-20 लाख लेकर खुद ही ओएमआर शीट भर डाली। क्या एक डिप्टी सेक्रेटरी एचसीएस जैसे पद के लिए यह अकेला कर सकता था? क्या साफ नहीं कि सत्ता में बैठे बड़े सफेदपोशों का संरक्षण व सहमति उसके साथ थी?

  1. ये लोग खुद कबूल कर रहे हैं कि ‘‘एचपीएससी की सीक्रेसी’’ तक इस गिरोह के लोगों की बेरोकटोक सीधी एंट्री थी। ये लोग सिक्योरिटी और सीसीटीवी कैमरों के बीच से सीधे सीक्रेसी तक जाते थे और ओएमआर शीट्स तक के फोटो खींच लेते थे।

क्या एचपीएससी की सीक्रेसी तक आप या मैं या खुद खट्टर साहब के प्रवेश की अनुमति है?

जिस जगह पर नियमों के अनुसार इस प्रदेश के मुखिया का भी प्रवेश निषेध है उस जगह तक इस गिरोह के लोगों का बिना रोक-टोक प्रवेश कैसे होता था?

जब ये लोग आयोग की इतनी महत्वपूर्ण शाखाओं में जाकर घुसपैठ करते थे और हेराफेरी करते थे तो एचपीएससी के चेयरमैन, सेक्रेटरी, मेम्बर्स और मुख्य सुरक्षा अधिकारी क्यों आंखें मूँदे हुए थे? कहीं ऐसा तो नही कि सभी की आंखों पर चांदी का चश्मा चढ़ा दिया गया हो?

  1. इस ‘‘व्यापम गिरोह’’ के तार एचपीएससी ही नहीं हरियाणा बोर्ड और एचएसएससी तक भी जुड़े हुए हैं। अब 2016 से हरियाणा बोर्ड की HTET परीक्षा व एचएसएससी की कई परीक्षाएं विवादों के घेरे में आ गई हैं। विजिलेंस के अनुसार जिस जसबीर सिंह मलिक को ऑनलाइन एप्लिकेशन स्कैनिंग और पेपर चेकिंग का ठेका दिया हुआ है, जब वही कैंडिडेट्स को फांसकर ला रहा है, तो फिर क्या नौकरी भर्ती का सारा खेल ही नकली नहीं?

एक बात साफ है – कि न तो एचसीएस अनिल नागर इस घोटाले की अंतिम कड़ी है और न अश्विनी शर्मा। नौकरी बेचने के इस खेल ने हरियाणा के युवाओं के भविष्य को दीमक की तरह खा खाकर खोखला बना दिया है। हमारी मांग हैं कि:-

o HPSC व HSSC आयोगों को बगैर देरी बर्खास्त किया जाए, ताकि निष्पक्ष जाँच हो सके।

o जिन भर्तियों की परीक्षाएं अनिल नागर के एचपीएससी में पोस्टिंग होने के बाद हुई हैं, सबको रद्द करें।

o हरियाणा के इस ‘‘नौकरी बिक्री व्यापम घोटाले’’ की जाँच हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी से करवाएं, न कि हरियाणा सरकार की एजेंसियों से, ताकि जाँच निष्पक्ष हो और बड़े से बड़े पद पर बैठे लोगों के नौकरी भर्ती घोटाले से जुड़े तार सामने आएं।

o एचपीएससी व एचएसएससी की पुनर्गठन हो। कोई भी नई भर्ती करने से पूर्व इन आयोगों में पारदर्शी नौकरी भर्ती सुधारों के लिए एक्सपर्ट्स का एक पैनल बनाकर सुझाव लें, उन्हें सार्वजनिक करें और उन सुझावों के अनुसार कार्रवाई करें।

o खट्टर साहेब सभी युवाओं से माफी मांगें, जिनको ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ के नारों से मूर्ख बनाते रहे हैं

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