मित्रता में कोई ऊंच-नीच व भेदभाव नहीं होता : महंत सर्वेश्वरी गिरि। कार्तिक पूर्णिमा पर श्रीमद्भागवत कथा के समापन में सुनाया कृष्ण-सुदामा मित्रता प्रसंग वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र,20 नवंबर : पिहोवा के सरस्वती तट पर स्थित श्री गोविंदनंद आश्रम में कार्तिक मास के उपलक्ष्य में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन के अवसर पर कथाव्यास आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने श्री कृष्ण-सुदामा मित्रता प्रसंग विस्तार से सुनाया। कथाव्यास महंत सर्वेश्वरी गिरि ने कहा कि मित्रता में कोई ऊंच – नीच व भेदभाव नहीं होता।मुसीबत में साथ निभाने वाला ही सच्चा मित्र होता है। श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के जीवन की परिस्थतियों को भांपते हुए बिना कुछ पूछे वह सभी सुख प्रदान किए, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।इसी तरह सुदामा ने भी मित्रता धर्म निभाते हुए अपने सखा श्रीकृष्ण को अपनी दयनीय स्थिति के बारे में कुछ नहीं बताया। इस मौके पर भजन मेरे यार सुदामा रे , बड़े दिनों में आए…सुनाया। भागवत आरती में नगर के गणमान्यजनों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। Post navigation माता-पिता व बुजुर्गों का सम्मान करने वाले बच्चे बनते है कामयाब नागरिक : दुष्यंत भक्ति वेदान्त सम्मेलन एवं मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह 22 से 24 नवंबर तक लक्ष्मीनारायण मन्दिर दिल्ली में