गुडग़ांव, 19 नवम्बर (अशोक): हरियाणा शिक्षा अधिनियम 134ए के तहत प्रदेश के निजी स्कूलों में गरीब व जरुरतमंद परिवारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है, लेकिन निजी स्कूल संचालक इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जरुरतमंदों को शिक्षा के क्षेत्र में निशुल्क सहायता उपलब्ध कराने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाशचंद का कहना है कि इस अधिनियम के तहत स्कूल के संचालक गरीब बच्चों को शिक्षा देना ही नहीं चाहते। वे कुछ न कुछ अड़चनें लगाते ही रहते हैं। निजी स्कूलों ने पोर्टल पर अभी तक भी रिक्त सीटों का ब्यौरा नहीं दिया है।

प्रदेश सरकार ने इस अधिनियम के तहत ऑनलाईन आवेदन मांगे हैं। निजी स्कूलों को रिक्त सीटों का ब्यौरा बेवसाईट पर देना था, ताकि जरुरतमंद बच्चे आवेदन कर सकें, लेकिन कई निजी स्कूलों ने यह ब्यौरा बेवसाईट पर अपलोड नहीं किया है जिससे आवेदन करने वाले बच्चों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि आवेदन करते समय उन स्कूलों का नाम तो अवश्य आता है, लेकिन रिक्त सीटों का पता नहीं चलता। क्योंकि यह जानकारी स्कूल संचालकों ने अपलोड नहीं की है।

उनका कहना है कि यह संभव ही नहीं है कि कक्षा दूसरी और तीसरी में सीट रिक्त न हों। क्योंकि यह अधिनियम कक्षा दूसरी से ही लागू होता है। ऐसे में सीट रिक्त होनी चाहिए। शिक्षा विभाग भी स्कूल संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। प्रदेश सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में पढऩे का अवसर प्राप्त हो सके।

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