आज के मुख्य यजमान ब्राह्मण शिरोमणि अश्वनी जोशी रहे कुरुक्षेत्र,18 नवंबर : सन्निहित सरोवर स्थित प्राचीन श्री दुखभंजन महादेव मंदिर में कार्तिक मास के उपलक्ष्य में करवायी जा रही श्रीमद्भागवत कथा में कथाव्यास शुकदेव आचार्य ने श्रीकृष्ण – रुकमणी विवाह प्रसंग विस्तार से सुनाया। मुख्य यजमान ब्राह्मण शिरोमणि अश्वनी जोशी पिहोवा, राज गौड़, जय नारायण शर्मा, कंवरसेन वर्मा,सुरेंद्र कंसल,अशोक आश्री और गोपाल शर्मा ने कथा का दीप प्रज्ज्वलित किया।प्रसंग में कथाव्यास शुकदेवाचार्य ने कहा कि जो लोग भगवान की निर्भरता का नाम लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना, सोना अथवा आराम में लगे रहना चाहते हैं, वे अपने आप को धोखा देते हैं। भगवान की निर्भरता में भक्त का जीवन सर्वदा और सर्वथा भगवत सेवा परायण बन जाता हैं।इस मौके पर श्री कृष्ण रुकमणी की आकर्षक झांकी दिखाई गई। गायक मुरारी भार्गव द्वारा सुनाए गए भजन आओ मेरी सखियों मुझे मेंहदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो और दूल्हा बने हैं नंदलाल की जोड़ी का जवाब नहीं…पर श्रद्धालु झूम उठे। भागवत आरती में आचार्य विनोद मिश्र, दीपक शर्मा, ज्ञानचंद शर्मा, जगन्नाथ शर्मा, वीरभान शर्मा,सुरेश शर्मा, ज्ञानचंद सैनी चनारथल, प्रेम मदान,जय कुमार शर्मा, सी.एल.बजाज , अजय ठाकुर, विजय ठाकुर,अनुराधा पाठक, कांता आश्री, सुनीता वालिया, सुषमा शर्मा व कुसुम गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। Post navigation देवताओं की दीपावली का पर्व कार्तिक पूर्णिमा : कौशिक। संगत की सेवा गुरु की सेवा है और गुरु सेवा के बिना भक्ति मुमकिन नहीं है : सतगुरु कँवर साहेब जी