राज्य सरकार ने किसान हित में उठाए यथासंभव कदम-सहकारिता मंत्री
किसानों की समस्या का यथाशीघ्र समाधान करने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत- डॉ बनवारी लाल

चंडीगढ़, 16 नवंबर- हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल ने राज्य के गन्ना काश्तकारों से अपील करते हुए कहा कि हमने किसान व मिल हित में जो भी जरूरी कदम उठाने बनते थे यथासमय उन्हें उठाया है औ उठाते रहेंगे। फिर भी किसान भाईयों को यदि कोई समस्या है तो वे व्यक्तिगत तौर पर व पत्राचार के माध्यम से मेरे (सहकारिता मंत्री) संज्ञान में ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे किसानों को विश्वास दिलाना चाहते है कि किसानों की समस्या का यथाशीघ्र समाधान किया जा सकेगा।

आज यहाँ जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक लोग हरियाणा में शांति नही रहना देना चाहते, आंदोलन करना हर किसी का अधिकार है परंतु उसकी कुछ मर्यादाएं होती है। सरकार किसानों के हित में कार्य करना चाहती है लेकिन कुछ लोग किसानों का हित नहीं चाहते इससे किसका नुकसान होगा इससे किसानों का ही नुकसान होगा, ऐसे लोगों को राजनीतिक स्वार्थ छोड़कर किसानों के हित में कार्य करना चाहिए और आगे आना चाहिए बाकी हमारे किसान भाइयों की तरक्की हो सके और उनकी आय में बढ़ोतरी हो।

मंत्री ने कहा कि जब से उन्होंने सहकारिता विभाग का कार्यभार ग्रहण किया है तब से मैने किसान हित को सर्वोपरी मानते हुऐ न केवल गन्ना किसानोे को आने वाली समस्याओं को समझा अपितु उनके समाधान की दिशा में यथासंभव कदम उठाए जिनके तहत —

1.जहां किसान गन्ने की बहुतायता के वर्षों में अपना गन्ना पड़ोसी राज्यों में सस्ती दर पर डालने के लिए मजबूर था वहीं गत वर्षों में राज्य की 11 सहकारी चीनी मिलों की पिराई क्षमता 27300 टी.सी.डी. से बढ़ाकर 29650 टी.सी.डी. किया गया है। इस प्रकार सहकारी चीनी मिलों की कुल पिराई क्षमता में 2350 टी.सी.डी की बढ़ोतरी की गई है जिसके परिणामस्वरूप 40 से 42 लाख क्विंटल अतिरिक्त गन्ने की पिराई संभव हो सकी है ताकि गन्ना किसान भाईयों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

2. हरियाणा देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां न केवल गन्ने का सर्वाधिक भाव  (362/- रूपये प्रति क्विंटल) दिया गया है जो देश में सर्वाधिक है अपितु यथासंभव सबसे पहले समस्त देय गन्ना राशि का भुगतान किया गया। गत वर्ष हरियाणा की सभी 11 सहकारी चीनी मिलों ने 466.19 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई की तथा उसकी समस्त देय गन्ना राशि 1630.36 करोड़ का भुगतान राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई 650.25 करोड़ की वित्तीय सहायता से संभव हो पाया।

आज चीनी उद्योग में मंदी के चलते जहां चीनी मिलें अपने संसाधनों से गन्ने की राशि का लगभग 60 प्रतिशत भुगतान करने में ही सक्षम है उसके बावजूद सहकारी चीनी मिलों के लगातार घाटे को पूरा करने के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार किया गया ना कि गन्ना किसानों के हित को नजर अंदाज किया गया।

यहां यह बताना भी उचित होगा कि वर्तमान सरकार द्वारा किसानों की गन्ना अदायगी समय पर सुनिश्चित करने के लिए अभी तक (2014-21) कुल 3511.50 करोड़ रूपये की राशि ऋण के रूप में तथा 371.04 करोड़ रूपये की राशि अनुदान के रूप में सहकारी चीनी मिलों को उपलब्ध करवाई गई है जो कि अपने आप में एक मिसाल है।

3. जहां शुरूआत में गन्ने में कम मिठास/चीनी परता में कमी की वजह से अमूमन हरियाणा की सहकारी चीनी मिलें नवम्बर माह के दूसरे पखवाड़े से दिसम्बर माह के प्रथम पखवाड़े में चलाई जाती थी वहीं गन्ना किसानों के हितों को सर्वाेपरि मानते हुऐ मैने यह सुनिश्चित किया कि कम चीनी परता के बावजूद नवम्बर माह के प्रथम पखवाड़े में शुरू करें ताकि गन्ना किसानों के लिए गेंहू की बिजाई समय पर संभव हो सके साथ ही साथ मई माह के अंतिम सप्ताह में गन्ने में सूख (वजन में कमी) व मजदूरों की अनुउपलब्धता की वजह से किसान भाईयों को होने वाले वित्तीय नुकसान को रोका जा सके।

4. पहले जहां गन्ना किसानों को मिल में गन्ना आपूर्ति के दौरान कईं कईं घंटों इंतजार करना पड़ता था वहीं हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि गन्ना किसान कम से कम समय में अपने गन्ने की ट्राली मिल में खाली कर सके।

5. पहले जहां गन्ना खरीद केन्द्रों पर लगे कांटोें पर कम तोल व गन्ना स्टाफ द्वारा अनियमितताओं की किसान भाईयों को शिकायत रहती थी वहीं प्रणाली में सुधार लाते हुए हमने मानव रहित मापतोल कांटे की प्रणाली को शुरू किया ताकि प्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सके।
6. पहले जहां गन्ने की पर्चियां हाथ से जारी की जाती थी व पक्षपात के आरोप लगते थे वहीं अब गन्ने की पर्चियांे को कम्पयूटर प्रणाली तथा एस.एम.एस के माध्यम से भेजना शुरू किया गया है।

7. हमारी सरकार ने किसानों की सुविधा को घ्यान में रखते हुऐ हरियाणा की सभी सहकारी चीनी मिलों में किसानों को रात के समय रूकनेे के लिए विश्राम गृह की व्यवस्था के साथ-साथ चाय पानी के लिए आधुनिक कैन्टीन व मिल प्रागंण में अटल किसान मजदूर कैन्टीन भीे चलाई जा रही है, जिसमें सस्ती दर (10/- रूपये प्रति थाली) पर उचित गुणवत्ता का खाना दिया जाता है।

किसानों के हित को सुरक्षित करने के साथ-साथ मैं आपके संज्ञान में यह भी लाना चाहता हूं कि हमने हरियाणा की सभी सहकारी चीनी मिलों को आर्थिक मजबूती देने के उद्देश्य से जो भी आवश्यक कदम उठाये हैं  व उठाये जा रहे हैं जैसे किः-

-करनाल के किसान भाईयों की बहुत पुराने समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करते हुए स्वर्ण जयंती स्कीम के तहत 263.00 करोड़ रूपये की लागत से करनाल सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता को 2200 से 3500 टी.सी.डी. किया गया।

-शाहबाद सहकारी चीनी मिल में 60 के.एल.पी.डी. शीरे पर आधारित 99.00 करोड़ रूपये की लागत से इथनॉल प्लांट लगाया गया है।
इस कड़ी में आगे 353.93 करोड़ रूपये की लागत से पानीपत सहकारी चीनी मिल के स्थानान्तरण, विस्तारीकरण एंव आधुनिकीकरण व क्षमता 1800 टी.सी.डी से बढ़ाकर 5000 टी.सी.डी करने व सह बिजली संयंत्र की स्थापना का कार्य प्रगति पर है तथा यह कार्य 25 दिसम्बर, 2021 तक पूर्ण कर लिया जायेगा। पलवल सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता 1900 टी.सी.डी से बढ़ाकर 2200  टी.सी.डी,  जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता 1750 टी.सी.डी से बढ़ाकर 2200 टी.सी.डी, कैथल और महम सहकारी चीनी मिलों की पिराई क्षमता 2500 टी.सी.डी. से बढ़ाकर 3000 टी.सी.डी. करने  का  कार्य  पिराई  सत्र  2022-23 के शुरू होने से पहले पूर्ण कर लिया जाएगा, जिनकी कुल अनुमानित लागत लगभग 191.64 करोड़ रूपये होगी। पानीपत सहकारी चीनी मिल में 90 के.एल.पी.डी क्षमता के एथनॉल प्लांट की स्थापना के प्रस्ताव राज्य सरकार के विचाराधीन हैं, जिसकी अनुमानित लागत 114 करोड़ रूपये हैं। इसके अतिरिक्त एथनाल प्लांट की स्थापना के प्रस्ताव को रोहतक, करनाल, सोनीपत, जींद, कैथल, महम, गोहाना और पलवल सहकारी चीनी मिलों में परीक्षण एवं टिप्पणी हेतू भेजा गया है।

उपरोक्त प्रोजेक्टों के पूर्ण होने से ना केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी अपितु सहकारी चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार आएगा व हरियाणा के युवाओं को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार के लिए नये अवसर प्राप्त होगें।

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