हिंदू सनातन, संस्कृति, समाज में गाय का सबसे महत्वपूर्ण स्थान.
जननी के बाद मं केवल मात्र गाय को ही है माता का दर्जा प्राप्त.
राज्य की सरकार भी गायों के संरक्षण के लिए कर रही है कार्य.
गोपाष्टमी पर्व पटौदी देहात में श्रद्धा के साथ में मनाया गया

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
संस्कृत के प्रकांड विद्वान, वेदों और धर्म ग्रंथों के मर्मज्ञ तथा आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्म देव ने कहा है कि अब वह समय आ चुका है जब गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। भारतीय सनातन संस्कृति में अनादि काल और देव काल से ही गाय का पालन पोषण और संरक्षण का सिलसिला चला आ रहा है। ऋषि-मनियों , मनीषियों, साधु-संतों के आश्रम में हमेशा गायों को प्राथमिकता के साथ रखा गया । गाय को गोधन के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। गाय प्रकृति, पर्यावरण और मानव कल्याण के लिए एकमात्र सबसे अधिक उपयोगी पशु है। जननी के बाद केवल मात्र गाय को ही मांता का दर्जा दिया गया है। गाय के महत्व और उपयोगिता को वैज्ञानिक भी स्वीकार कर चुके हैं। यह बात महामंडलेश्वर धर्मदेव ने आश्रम हरी मंदिर परिसर में गोपाष्टमी के उपलक्ष पर गौ पूजन के मौके पर कही।

यहां आश्रम परिसर में गौशाला में महामंडलेश्वर धर्मदेव नित्य प्रतिदिन गौ सेवा करने के साथ-साथ गाय का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी पहुंचते हैं। उन्होंने कहा गाय एकमात्र ऐसा जीव है जोकि ऑक्सीजन ग्रहण करके ऑक्सीजन का ही विसर्जन भी करता है । गाय का रोम-रोम मानव और जीव कल्याण के लिए हर प्रकार से उपयोगी है । आज जरूरत इस बात की है कि गाय को केवल वर्ष में एक बार पूजन का पशु ना मानकर गाय को संरक्षण सहित पालन पोषण किया जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा हरियाणा सरकार के द्वारा गोधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं। विभिन्न स्थानों पर गौशाला खोली जा रही हैं । जहां पर आवारा और लाचार बेबस गोधन को रखकर , इस कल्याणकारी जीव गाय की सेवा की जा सके। यह भी मान्यता है कि जिस भी घर के आंगन में गाय उपलब्ध होती है , वहां किसी भी प्रकार का व्यवधान और परेशानियां नहीं होती । उन्होंने कहा राज्य सरकार के द्वारा अवैध गोकशी, तस्करी सहित गोवध को लेकर सख्त कानून भी बनाया जा चुका है । उन्होंने कहा हम सभी का सामाजिक दायित्व भी बनता है कि गोधन की विशेष रुप से आवारा ,लाचार ,बेबस गोधन की सेवा की जाए। हमारे अपने धर्म ग्रंथों में यह भी मान्यता है कि गाय में देवी-देवताओं का वास भी होता है । उन्होंने कहा गाय को उपभोग की वस्तु नहीं मानकर इसके उपयोग के महत्व को समझने की जरूरत है ।

गांव बुचावास में मौजूद महंत लक्ष्मण गिरी गौशाला के संचालक महंत विट्ठल गिरी महाराज का भी कहना है कि गाय वास्तव में ब्रह्मांड का सबसे अधिक पवित्र और  पूजनीय जीव है। जब तक गाय दूध इत्यादि देती है , तब तक गाय की खूब सेवा भी की जाती है। लेकिन बूढ़ी और अधिक उम्र की गायों को लोग अपना स्वार्थ पूरा होने के बाद अपने ऊपर बोझ मानकर किसी दूसरे स्थान पर छोड़कर पुण्य से अधिक पाप के भागीदार बनते जा रहे हैं। पुण्य और पाप की कोई परिभाषा संभव नहीं है । बुचावास में महंत लक्ष्मण गिरि गौ सेवा सदन में केवल मात्र बीमार बेबस लाचार दुर्घटनाग्रस्त और अंधे गोधन को ही रखकर इनकी सेवा की जा रही है । आज बदलते समय में ग्रामीण परिवेश में भी गोधूलि देखने के लिए नहीं मिलती । यह भी मान्यता है कि गोधूलि जो कि गाय के समूह के आने जाने से बनती है ,वही गोधूलि मानव स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी बताई गई । हेड़ा हेड़ा में महाकाल गौ सेवा सदन के संचालक महंत राज गिरी ने भी जननी और गाय कि जीवन पर्यंन्त सेवा करने की बात कही है। महंत राज गिरि के मुताबिक उनके यहां गौशाला में जो भी गोधन मौजूद है , वह सभी गोधन लाचार, बेबस, अपंग, तेजाब पीड़ित,  अंधा सहित कई प्रकार के रोगों से प्रभावित है । गौ सेवकों और गाय के प्रति श्रद्धा सहित आस्थावान लोगों के सहयोग से गौशाला में मौजूद तमाम लाचार बेबस अपंग गोधन की सेवा बिना किसी स्वार्थ के की जा रही है। जरूरत पड़ने पर बुचावास कि महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला और हेड़ा हेड़ा महाकाल गो सेवा सदन में भी जरूरत के मुताबिक योग्य पशु चिकित्सकों को बुलाकर जरूरतमंद गोधन के ऑपरेशन तक भी किए जा रहे हैं। गाय एकमात्र ऐसा जीव अथवा पशु है , जोकि गंभीर प्रकार के रोगियों को स्वस्थ करने की भी क्षमता रखता है। गाय का दूध अमृत के बराबर माना गया है ।

वही ज्योतिषाचार्य प्रवीण व्यास का कहना है कि ज्योतिष और धर्म शास्त्र के अनुसार गोपाष्टमी के मौके पर गाय की पूजा और दान करने से अतुलनीय पुण्य प्राप्त होता है । भगवान श्री कृष्ण का गौ प्रेम किसी परिचय का मोहताज नहीं है । आज भी व्यक्तिगत रूप से और सरकारी स्तर पर अनेक गौशाला में लाचार बेबस अपंग गोधन की सेवा के लिए रात दिन गौ सेवकों के सहयोग से काम किये जा रहे हैं । समय-समय पर सरकार के द्वारा भी गौशालाओं में आर्थिक सहयोग किया जा रहा है । पौराणिक और धार्मिक महत्व के मुताबिक कार्तिक माह ने प्रतिदिन सूर्याेदय से पहले स्नान, पूजन, दान बुजुर्गों की सेवा और अष्टमी के दिन गाय के पूजन का विशेष पुण्यकारी महत्व बताया गया है।

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