गुरुग्राम में पंद्रह लाख की आबादी पूर्वांचलियों की है जिसे अपने पक्ष में करने के लिए सभी राजनीतिक दल विभिन्न स्थानों पर साठ से अधिक पूर्वांचली संगठनों का अलग-अलग निर्माण कर बड़े आयोजनों को कराकर अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं ताकि पूर्वांचली वोटरों को लुभाया जा सके सत्ताधारी दल भाजपा भी पीछे नहीं उन्होंने तो अपना अलग ही भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ बना डाला और कार्यक्रम में अध्यक्षता करने के लिए मुख्यमंत्री को ही बुला लिया जिनके लिए विशेष आमंत्रण भेजे गए भाजपा के पूर्व सांसद, मंत्री विधायकों और वरिष्ठ पार्टी नेताओं को ताकि छठ पर्व को बड़ा इवेंट बनाकर दिखाया जा सके परन्तु अपने त्योहारों को लगभग तिलांजलि दे चुके इन तमाम नेतागणों से सवाल बनता है कि कुछ दिन पहले ही दीपावली पर्व ,गोवर्धन पूजा भैय्यादोज़ था दशहरा ,नवरात्रि पर्व था तब कहाँ गए थे यह नेता या कहीं इन्होंने यह तो नहीं सोच लिया कि अपने तो जाएंगे कहाँ इन प्रवासियों की वोटों का स्वाद चखने के लिए इनका छठ पर्व मनाना ही उचित रहेगा ?

अकेले गुरुग्राम में ही दो-सो से अधिक स्थानों पर मनाए जाने वाले छठ त्यौहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने कोंग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी पधारे हुए हैं जहां पूर्वांचल समाज की अधिक भीड़ जमा होने का दावा किया गया है , एक स्थान पर अनूप धानक तो दूसरे स्थान पर विधायक सुधीर सिंगला तो किसी अन्य स्थल पर राकेश दौलताबाद पधार रहे हैं , अनुमन सभी दलों के नेताओं के कार्यक्रम लगे हुए हैं भिन्न भिन्न लोगों द्वारा आमंत्रित किया गया लगता है उधर मुख्यमंत्री जी के लिए भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ के कार्यक्रम (इवेंट ) की बात करें तो एक भी पूर्वांचली का नाम उस कार्ड में नहीं देखा गया अर्थात यहां भी हाशिए पर फेंक दिया गया पूर्वांचल समाज अब सवाल यह उठता है कि अपने पर्व को मनाएं या मुख्यमंत्री जी सहित भाजपाई नेताओं की शक्लें देखते रह जाएं ? एक और सवाल की मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मेहमानों की लिस्ट में जिन भाजपाइयों के नाम है वो सब पूर्वांचली हो गए क्या ? नहीं तो दशहरा दीपावली पर क्या विदेश में गए थे हुड्डा साहब और सब नेता , आखिर कहाँ गए थे हिंदुओं के सभी त्योहारों के समय ?

पूर्वांचली लोग भी इन राजनीतिक दलों को नेताओं को निराश नहीं कर सकते कारण किसी की भी किस्मत सत्ताधारी होने का योग हो सकता है और उन्हें पर्व का आयोजन प्रतिवर्ष करना है जिसके लिए जनसुविधाओं के साथ अनुमतियाँ भी चाहिए होती हैं इसलिए मजबूरी भी बन गई है फिर चाहें सरकार की नीतियों ने इनके नोकरी, रोजगार , काम धंधों को ही बर्बाद कर भूखों मरने की नोबत में ही इनपर लट्ठ क्यों न बरसाए हों अपने प्रदेश के युवाओं को नोकरियों में 75% हिस्सेदारी वाला कानून बनाकर इनके भविष्य को अंधकारमय ही क्यों न बना दिया हो मगर बुलाना तो पड़ेगा और इनकी बातों को भी सुनना ही पड़ेगा जब्कि इन्हें अच्छे से ज्ञात है कि यह लोग केवल मूर्ख बनाने के लिए ही पधार रहे हैं ।

तरविंदर सैनी ( माईकल ) आम आदमी पार्टी नेता का कहना है कि प्रवासी भारतीयों का विशेषकर पूर्वांचलियों के लिए भी रोजगार के द्वार खुले रहें ऐसी योजना बनाने की घोषणा कर जाएं खट्टर साहब जब पधार ही गए हैं तो छठ पर्व के अवसर पर तथा कैसी भी आपदा के समय हरसंभव सहायता देने का वचन देकर जाएं तथा आपके आने की सार्थकता तभी साबित हो पाएगी अन्यथा लोगों में तो चर्चा यह भी है कि रोजगार छीनकर मिठाई खिलाने की चेष्टा कर रहे हैं खट्टर साहब ।।

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