-कमलेश भारतीय दीपावली से पहले उपचुनावों के नतीजों ने सभी राजनीतिक दलों को न केवल चौंकाया बल्कि सबक भी सिखाया । जैसे कि हरियाणा के ऐलनाबाद में पहले दिन से इनेलो के अभय चौटाला की जीत सबकी जुबान पर थी लेकिन हार का अंतर कम होगा और भाजपा-जजपा के संयुक्त प्रत्याशी गोविंद कांडा इतनी कड़ी टक्कर देंगे , यह कोई नहीं जानता था । कांग्रेस प्रत्याशी पवन बेनिवाल की पार्टी की गुटबाजी के चलते जमानत ही जब्त हो जायेगी , यह भी किसी ने भविष्यवाणी नहीं की थी । जहां इनेलो को सबक मिला कि इस गढ़ को बचा कर रखो , वहीं थोड़ी या ज्यादा भाजपा को किसान आंदोलन की सज़ा मिली । कांग्रेस के दिग्गज जब तक आपस में ही उलझे रहेंगे तब तक इसका भविष्य धूमिल ही रहेगा । ऐसे ही परिणाम आते रहेंगे । बरोदा के बाद इसी राज्य में भाजपा दूसरा उप चुनाव हारी है । हिमाचल में भाजपा की मौजूदा सरकार को सबसे ज्यादा झटका लगा है जहां चारों उपचुनाव कांग्रेस ने जीत कर भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया । पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने मंडी लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री के प्रत्याशी को उनके गृह जिले में ही हराया । शेष तीन विधानसभा सीटों के उप चुनाव भी कांग्रेस ने ही जीते । इस शानदार प्रदर्शन से कांग्रेस गद्गद् है तो भाजपा पस्त । मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की कुर्सी डोल सकती है । खतरा मंडराने लगा है । पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी के प्रभावशाली नेतृत्व से चारों के चारों उप चुनाव जीत लिए । इससे पहले भी तीन सीटें जीतीं तृणमूल कांग्रेस ने जिसमें ममता बनर्जी भी शामिल थीं । भाजपा यहां शून्य पर रही । राजस्थान में भी कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन बनाये रखा और भाजपा शून्य पर लौटी । सिर्फ असम और मध्यप्रदेश में सम्मान बचा पाई । इन उपचुनावों से हो सकता है किसान आंदोलन को जोड़ना बहुत उचित न लगे । पर किसान आंदोलन का असर हरियाणा व राजस्थान में देखने को मिला है । अभय चौटाला ने अपनी जीत किसानों को समर्पित की है और चेतावनी दी है कि वे किसानों के हित में दोबारा भी इस्तीफा दे सकते हैं । यह घोषणा भी की कि सिंधु व टिकरी बार्डर पर किसानों का धन्यवाद करने जायेंगे । कांग्रेस को मंथन करना होगा कि आखिर उनके प्रत्याशी की जमानत जब्त क्यों हुई ? भाजपा को पूरे देश के परिणाम देखते हुए कृषि कानूनों को लेकर अपनी हठधर्मिता छोड़ कर वार्ता की राह पर लौटना होगा नहीं तो उत्तर प्रदेश में भी किसान आंदोलन अपना रंग दिखा सकता है । क्या भाजपा इतने नुक्सान झेलने को तैयार है ? क्या भाजपा किसान आंदोलन पर अपनी रणनीति बदलेगी ? हर पार्टी के लिए मंथन का समय आ गया है । इस सारी उथल पुथल के बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी बनाने की घोषणा की है । चलो नये काम पे लगे कैप्टन ।-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation हर त्यौहार का है अपना महत्व, मिलजुल कर मनाएं खुशी : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज प्राचीन राधे कृष्णा मन्दिर में परंपरागत तौर तरीकों से बनाया जाएगा ‘अन्नकूट’ का प्रशाद