थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ पूर्णाहूति और महाआरती के साथ संपन्न। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 2 नवम्बर :- मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश-हरिद्वार द्वारा थीम पार्क में आयोजित 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ पूर्णाहूति के साथ संपन्न हुआ। सोमवार सायंकालीन महाआरती में के.डी.बी.के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा,युवा भाजपा नेता साहिल सुधा,गौरव बेदी, क्रीड़ा भारती कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष डी पी चोधरी, पवन खरखोदा, विजयन्त बिन्दल सहित प्रदेश के कई शासकीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इससे पूर्व सुबह लक्षचंडी महायज्ञ में पूर्णाहूति दी गई।इस अनुष्ठान के समापन पर कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी,सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल,थानेसर विधायक सुभाष सुधा,नगर परिषद थानेसर की निवर्तमान अध्यक्षा उमा सुधा,धर्मनगरी एवं आसपास से पहुंचे श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा करके पुण्य कमाया। महाआरती के पश्चात भजन संध्या की गई जिसमें स्वामी हरिओम महाराज ने श्रद्धालुओं को भजन की महिमा विस्तार से बताई और इसी के साथ जनकल्याण की प्रार्थना भी की गई। यज्ञाचार्यों द्वारा दुर्गा सप्तशति मंत्रों सहित रुद्राष्टाध्यायी एवं श्री सूक्त, पुरुषसूक्त तथा अनेकानेक सिद्ध एवं मनोकामना पूर्ण करने वाले मंत्रों का उच्चारण किया गया।स्वामी हरिओम महाराज व अन्य संतों ने सत्य सनातन हिन्दू धर्म के अस्तित्व को बचाने, गोरक्षा, पर्यावरण रक्षा एवं अखंड भारत की रक्षा पर अपने-अपने प्रवचन दिए।प्रवचनों के पश्चात ब्राह्मण एवं संत पूजन के पश्चात विशाल भंडारा आयोजित किया गया। हरिओम महाराज ने यज्ञ की महिमा पर बोलते हुए कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है।एक जन्म तो वह है जिसे इंसान शरीर के रूप में माता-पिता के जरिए लेता है। यह तो सभी को मिलता है लेकिन आत्मिक रूपांतरण द्वारा आध्यात्मिक जन्म यानी दूसरा जन्म किसी किसी को ही मिलता है। शारीरिक जन्म तो संसार में आने का बहाना मात्र है लेकिन वास्तविक जन्म तो वही है जब इंसान अपनी अंत: प्रज्ञा से जागता है,जिसका एक माध्यम है ‘यज्ञ’। यज्ञ की पहचान है ‘अग्नि’ या यूं कहें ‘अग्नि’, यज्ञ का अहम हिस्सा है जो कि प्रतीक है शक्ति की, ऊर्जा की, सदा ऊपर उठने की। शास्त्रों में अग्नि को ईश्वर भी कहा गया है इसी अग्नि में ताप भी छिपा है तो भाप भी छिपी है।यही अग्नि जलाती भी है तो प्रकाश भी देती है। इसी अग्नि के माध्यम से जल भी बनता है और जल मात्र मानव जीवन के लिए ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति के लिए वरदान है,अमृत है। इसीलिए अग्नि इतनी पूजनीय है।एक प्रकार से अग्नि ही ईश्वर है तभी तो अग्नि इतनी पूजनीय है।यही कारण है कि हर धर्म एवं सम्प्रदाय में अग्नि का इतना महत्व है तथा उसे किसी न किसी रूप में जलाया व पूजा जाता है और यज्ञ भी एक तरह की पूजा है। यदि यज्ञ में जलती अग्नि ईश्वर है तो अग्नि का मुख ईश्वर का मुख है।यज्ञ में कुछ भी आछूत करने का अर्थ है परमात्मा को भोजन कराना। इसलिए अग्नि को जो कुछ खिलाया जाता है वह सही अर्थों में ब्राहृभोज है। जिस तरह भगवान सबको खिलाता है उसी तरह यज्ञ के जरिए इंसान भगवान को खिलाता है।यज्ञ परमात्मा तक पहुंचने का सोपान है। उसका सान्निध्य पाने का माध्यम है। यज्ञ में प्रकट अग्नि साक्षात् भगवान है। इसीलिए यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने के लिए तथा उसे बनाए रखने के लिए यज्ञ या हवन सामग्री का भी विशेष स्थान है। यह सामग्री न केवल भगवान के भोजन का हिस्सा बनती है बल्कि इससे उठने वाला धुआं वायुमंडल को शुद्ध करता है। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद, और महामंडलेश्वर विकास दास महाराज मोहड़ा धाम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। लक्षचंडी महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा गोल्डी, अशोक शर्मा, आशुतोष गोस्वामी, राजेश मौदगिल, कपिल भडाना, राजकरण राणा,विजय नरुला, अजय गोयल, पार्षद भारत भूषण सिंगला, राहुल तंवर व सतपाल द्विवेदी सहित व्यवस्था में जुटे समस्त कार्यकर्ताओं ने सभी संतों व यजमानों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री बालकिशन, खंड कार्यवाह राजीव, दिनेश कुमार जींद, आरएसएस विभाग कार्यवाह डा.प्रीतम, डा. मनीष, परुषोतम सिंह ठाकरान, अनुज, सह जिला संघचालक रणजीत, सोनू मल्होत्रा, दीपक सचदेवा, इकबाल लुखी, डा. संजीव शर्मा,अतुल शास्त्री, इश्वर सिंह, बलबीर सिंह, परीक्षित शर्मा, राहुल पांचाल, लखीराम,कृष्णा, लीलूराम हिसार, सोमप्रकाश कौशिक, ओमप्रकाश लुखी, सतीश शर्मा, सतीश मित्तल,रमण बंसल,ओमप्रकाश जलगांव, रमेश कौशिक, हरीश शर्मा,जनकराज सिरसा, बी.डी.गौड़ चंडीगढ़, सीमा लोहिया व ममता गोयल सिरसा, देवेंद्र शर्मा,हरि प्रकाश शर्मा सोनीपत, हरीश अरोड़ा,कंवरपाल शर्मा, सरजन्त सिंह,अनिल देवगण,भगवत दयाल शर्मा,अनिल राणा सफीदों,सुरेन्द्र शर्मा, मुनीष राव,राज सिंह मलिक, दीपक शर्मा, कमल शर्मा, कृष्ण दहिया सिसाना, राजीव सैनी, विजेंद्र सिंह, अनिल डागर, ईश्वर शामड़ी, विवेक मेहता, आर.डी.शर्मा सहित अन्य श्रद्धालु शामिल रहे। Post navigation गंगा उत्सव 2021 के अंतर्गत आयोजित की गई नारा लेखन प्रतियोगिता लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को पूरी निष्पक्षता और बिना खौफ के चलानी होगी अपनी कलम : दुष्यंत