भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा में 2014 से ही मुख्यमंत्री की रणनीति ही चली है और वर्तमान में भाजपा की ओर से सात साल बेमिसाल अभियान भी चलाया जा रहा है। उसमें भी मुख्यमंत्री की उपलब्धियों का गुणगान किया जा रहा है।

ऐलनाबाद उपचुनाव में मुख्यमंत्री फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने जजपा और भाजपा को नकार गोबिंद कांडा को उम्मीदवार बनाया और फिर 26 और 27 तारीख को ऐलनाबाद में उन्होंने सभाएं भी की। 27 तारीख सायं से चुनाव प्रचार थम गया और साम-दाम-दंड-भेद का काम आरंभ हो गया। मतदान 30 तारीख को होना है, जिसमें माना जा रहा है कि सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध होंगे और भाजपा की ओर से प्रचार भी यही किया जा रहा है कि निर्भय होकर मतदान करें और यह सत्य भी है कि मतदान निर्भय होकर ही करना चाहिए न कि किसी प्रलोभन या दबाव में।

अब बात करें मुख्यमंत्री की रणनीति की तो 2019 के चुनाव में भी चर्चा में बात आई थी कि मुख्यमंत्री का कहना था कि मैं अगले दस वर्ष की राजनीति कर रहा हूं। दो-चार सीट कम या ज्यादा होने से कोई अंतर नहीं पडऩे वाला लेकिन विपक्ष नेस्तनाबूद होना चाहिए। हालांकि विपक्ष को नेस्तनाबूद करने की इनकी रणनीति पूर्णतया: कामयाब नहीं हुई लेकिन फेल भी नहीं हुई और वर्तमान चुनाव में भी उनकी नीति शायद यही है। 

चुनाव आरंभ हुआ तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता कह रहे थे कि यह सीट तो देवीलाल परिवार की है। हमारे लिए तो अवसर है। धीरे-धीरे समय गुजरने के साथ कहने लगे कि अभय सिंह चौटाला से है और आज तो भाजपा के सभी नेता चाहे वह वहां गए थे या नहीं गए थे, पुकार-पुकार कर कह रहे हैं कि हम बड़े मार्जन से ऐलनाबाद चुनाव जीतेंगे। परिणाम तो समय के गर्भ में है। वहां के पत्रकार एवं सट्टा बाजार के प्राप्त रूझान अभय चौटाला के पक्ष में बताए जाते हैं परंतु चुनाव प्रचार रुकने के बाद भाजपा की पता नहीं कौन-सी रणनीति चली कि सभी नेता अपनी विजय निश्चित बताने लगे। अब परिणाम क्या निकलेगा, यह तो समय के गर्भ में है। दो तारीख को ही ज्ञात होगा। हालांकि पोस्ट पोल सर्वे शायद 30 तारीख सायं से ही आने लगें।

अब बात करें मुख्यमंत्री मनोहर लाल की रणनीति की तो दो बार उनका चुनाव लड़ा उम्मीदवार पवन बैनीवाल अब कांग्रेस का उम्मीदवार रह गया और चुनाव आरंभ हुआ तो राजनैतिक चर्चाकारों की जबान पर एक ही बात थी कि भाजपा की जमानत जब्त होगी और तीसरे नंबर पर रहेगी लेकिन वर्तमान में चर्चाकार कहने लगे हैं कि मुकाबला भाजपा और अभय में है। कांग्रेस बहुत पिछड़ गई है और यही मुख्यमंत्री मनोहर लाल की रणनीति है। वर्तमान में हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस है और अब कांग्रेस जहां पिछड़ती नजर आ रही है तो चुनाव परिणाम आने के पश्चात पहले ही आपसी विवादों में घिरी कांग्रेस के विवाद और प्रबल होने की संभावना है। अर्थात मुख्यमंत्री की रणनीति विपक्षी दल को कमजोर करने की पूर्णतया: कामयाब रही। रही बात चुनाव परिणाम की तो यदि इनेलो का उम्मीदवार अभय चौटाला जीत भी गया तो भाजपा को विशेष अंतर पडऩे वाला है नहीं और शायद यही सोचकर भाजपा के नेता आज जश्न मना रहे हैं।

हम यह सब बातें ऐलनाबाद से प्राप्त जानकारी के अनुसार कह रहे हैं और प्राप्त जानकारियों में बताया जा रहा है कि भाजपा के नेता कहीं भी बिना सुरक्षा के अपना कार्यक्रम नहीं कर पाई। अगर उस अनुसार देखें तो भाजपा के जीतने की संभावनाएं कम ही नजर आती हैं लेकिन जिस प्रकार कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा अपनी सभा में कह गए कि गोपाल कांडा मेरा मित्र है, उससे कांग्रेस खेमा कमजोर हुआ और भाजपा को बल मिला। अंदरूनी रणनीति और यह चुनाव प्रचार थमने के बाद का साम-दाम-दंड-भेद का खेल क्या रंग दिखाएगा, यह तो समय ही बताएगा।

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