Category: विचार

टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा …….

“मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।” लोग नई चीजें हासिल करने के बजाय आसान चीजों में लग जाते…

सोशल मीडिया पर नग्नता का नंगा नाच ………

जीवन का चरमसुख अब फॉलोअर्स पाने और कमेंट आने पर निर्भर हो गया है। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर नग्न अवस्था में तस्वीरें शेयर कर आज लड़कियां लाइक कमेंट पाकर खुद…

स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता- -डॉ. प्रियंका सौरभ

आज पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल, गैर-मुद्दों को वास्तविक समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है, वास्तविक और समाज हित…

स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का अभाव झेलती मीडिया

डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’ हाल के वर्षों में मीडिया की भूमिका बदली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का घोर अभाव है। समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए मीडिया के बड़े पैमाने…

‘सनातन धर्म’ के बदलते अर्थ …….

“सनातन धर्म” शब्द को कैसे हेरफेर और हथियार बनाया गया है और हिंदू धर्म के ढांचे के भीतर जाति-विशेषाधिकार प्राप्त हिंदुओं की जाति भेदभाव को संबोधित करने में क्या जिम्मेदारियां…

बढ़ते हुए तलाक कर रहे सामाजिक ताने-बाने ख़ाक …….

पश्चिमी मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने भारतीय समाज की प्रेम और रिश्तों की धारणा को प्रभावित किया है। युवा पीढ़ी पारंपरिक पारिवारिक अपेक्षाओं की तुलना में व्यक्तिगत खुशी और…

चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग ………

मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह…

आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे …….

जन्म मरण के चक्र-सी है हार जीत लग रही। लड़े-भिड़े शौर्य से, आज नही तो कल सही।। कप जितने से बड़ी बात दिल जीतना होता है। क्रिकेट खत्म नही हो…

डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

देशभर में खासकर गांवों में बिना जरूरी डिग्री वाले डॉक्टरों की भरमार है। कोई तीन-चार साल तक मेडिकल स्टोर पर काम करने के बाद डॉक्टर बन जा रहा है, तो…

पुरुष संवेदनशीलता के बिना महिला सशक्तिकरण अधूरा

यह कहना कि केवल महिलाएं ही इस मानसिकता की शिकार हैं, आधा सच होगा। हाल के दिनों में, पुरुषों पर पितृसत्ता के प्रभाव के संबंध में अधिक जागरूकता उत्पन्न हुई…