Category: विचार

परिवार दिवस विशेष ….. फूट-कलह ने खींच दी, हर आँगन दीवार !

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते…

आखिर क्यों आदर्श आचार संहिता की कोई नज़ीर पेश नहीं होती ?

बीते कुछ सालों में देश में जितने भी चुनाव हुए हैं, चाहे वो लोकसभा के हों या विधानसभा के, सब में आचार संहिता उल्लंघन के मामले सामने आते रहे हैं।…

खतरे में है भारत की पशुधन अर्थव्यवस्था ……..

सरकार की अपनी नीति पर भ्रम के कारण, गरीबों की नई अर्थव्यवस्था गंभीर खतरे में है। चूँकि भारत बेरोजगारी की चपेट में है, पशुधन क्षेत्र इस संकट से निपटने के…

बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं

राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों…

भारत में अंगदान की कमी से जा रही लोगों की जान

एक मृत अंग दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। दान की गई दो किडनी दो रोगियों को डायलिसिस उपचार से मुक्त कर सकती हैं। दान किए गए एक…

प्रज्ज्वल कांड : राजनीति का घिनौना चेहरा

-कमलेश भारतीय आखिरकार कर्नाटक ही नहीं देश में राजनीति का घिनौना चेहरा बने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के पौत्र व सांसद प्रज्ज्वल के पिता विधायक एचडी रेवन्ना को एसआईटी‌…

मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी

मानवता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है, मानव तस्करी आधुनिक दुनिया में होने वाले सबसे विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक…

पत्रकारों को रखना होगा लोगों की निजता का ख्याल

पत्रकारों को व्यक्तियों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्रकाशित करने से पहले उनकी सूचित सहमति लेनी चाहिए। इससे व्यक्तियों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनके डेटा का…

फिल्म और राजनीति के किरदार अलग हैं …..

-कमलेश भारतीय क्या फिल्मों में निभाये गये चरित्र राजनीति में आलोचना बन सकते हैं? सब जानते हैं कि राजनीति और फिल्म के किरदारों का आपस में कोई मेल‌ नहीं होता…

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