स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी ……. निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर
स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक…