Tag: डॉ प्रियंका सौरभ

स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी ……. निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर

स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक…

महिलाओं से आकाश छीनता पितृसत्ता विश्वास

पितृसत्तात्मक समाज औरत को स्वतंत्रता और फैसला लेने का अधिकार नहीं देता। यह समाज हमेशा ही महिलाओं को सामाजिक रोक-टोक से जकड़कर रखना चाहता है। हमारे समाज को महिला की…

साक्षरता और पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं सार्वजनिक पुस्तकालय

ज्ञान और संस्कृति के प्रवेश द्वार के रूप में, पुस्तकालय समाज में मौलिक भूमिका निभाते हैं। वे जो संसा धन और सेवाएँ प्रदान करते हैं, वे सीखने के अवसर पैदा…

अंतरात्मा की आवाज बताती – क्या सही है और क्या गलत है?

अंतरात्मा स्वभाव से सत्य का प्रतिनिधित्व करती है और इसलिए अपने आप में सही दिशा दर्शाती है। अंतरात्मा असल में हमारी स्वभाविक और स्वस्थ स्थिति में होती है, लेकिन हमारे…

सामाजिक ताने-बाने के साथ खेलती सोशल मीडिया

एक समय था जब लोग एक-दूसरे से व्यक्तिगत रूप से मिलते और बात करते थे और एक-दूसरे को पत्र लिखते थे। लोग अपना ज्यादातर समय परिवार के सदस्यों के साथ…

विश्व पशु चिकित्सा दिवस (29 अप्रैल, 2023)…….. पोषण का रामबाण है भारत का पशुधन

पशुपालन का अभ्यास अब एक विकल्प नहीं है, बल्कि समकालीन परिदृश्य में एक आवश्यकता है। इसके सफल, टिकाऊ और कुशल कार्यान्वयन से हमारे समाज के निचले तबके की सामाजिक-आर्थिक स्थिति…

षड्यंत्र और राजनीति का हिस्सा धर्म परिवर्तन

सुप्रीम कोर्ट मानता है कि धर्म परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। धर्म परिवर्तन राजनीतिक मुद्दा है या आस्था का मामला? लोगों को…

चीन से आगे होंगे तो आगे सोचना भी होगा ……..

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 19 अप्रैल को 142।86 करोड़ की आबादी के साथ भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला…

24 अप्रैल – राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस……… महिलाओं की राजनीति में बाधा बनते सरपंच पति

चुनाव में खड़े होने और जीतने के बाद महिला प्रधानों के परिवार के सदस्यों से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है; अधिकांश कार्य परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा नियंत्रित…

पृथ्वी दिवस विशेष, 22 अप्रैल ……… पृथ्वी की रक्षा एक दिवास्वप्न नहीं बल्कि एक वास्तविकता होनी चाहिए

मनुष्य के रूप में, यह हमारा मूल कर्तव्य है कि हम उस ग्रह की देखभाल करें जिसे हम अपना घर कहते हैं। पृथ्वी हमें वे सभी बुनियादी चीजें उपलब्ध कराती…

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