एक शाम सीता सागर के नाम……सुरुचि परिवार ने किया काव्य संध्या का आयोजन
“मुझे क्यों इस कदर प्यारी जमीं महसूस होती है, रेगिस्तान में भी अब नमी महसूस होती है I” जहाँ सूफी गीत का जादू श्रोताओं के सर चढ़कर बोला, वहीं मुक्तक…
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“मुझे क्यों इस कदर प्यारी जमीं महसूस होती है, रेगिस्तान में भी अब नमी महसूस होती है I” जहाँ सूफी गीत का जादू श्रोताओं के सर चढ़कर बोला, वहीं मुक्तक…