मेरी यादों में जालंधर- भाग ग्यारह ……. अश्क और मोहन राकेश के ठहाके….कुछ कदम आगे, कुछ कदम पीछे
-कमलेश भारतीय यादें भी क्या चीज़ हैं, जो आती हैं, तो आती ही जाती हैं । इनके आने का न तो कोई सबब होता है और न ही कोई ओर-…
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-कमलेश भारतीय यादें भी क्या चीज़ हैं, जो आती हैं, तो आती ही जाती हैं । इनके आने का न तो कोई सबब होता है और न ही कोई ओर-…
-कमलेश भारतीय मित्रो, जालंधर, एक ऐसा शहर, जहाँ मेरा साहित्यिक जीवन शुरू हुआ। यही वह शहर है, जहाँ मैंने साहित्य में अच्छे- बुरे, खट्टे- मीठे अनुभव प्राप्त किये! यही वह…
-कमलेश भारतीय सच! कितनी प्यारी पंक्तियाँ हैं :कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिनप्यारे प्यारे दिन,वो मेरे प्यारे पल छिन!कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन! नहीं हम सब जानते…
-कमलेश भारतीय आज फिर मन जालंधर की ओर उड़ान भर रहा है। आज अपनी पीढ़ी को याद करने जा रहा हूँ । जैसे कि रमेश बतरा ने अपने एक कथा…
“हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसीं, कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले…” “हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन, दिल के खुश रखने को…
आज जिस प्रकार से सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त करने के लिए कुछ योग्य एवं अयोग्य साहित्यकार, कवि, लेखक, कलाकार साम-दाम-दण्ड-भेद सब अपना रहे हैं और अपने प्रयासों में प्रायः सफल…
-कमलेश भारतीय जगजीत सिंह की आवाज में गायी यह ग़ज़ल आप सब सुनते ही नहीं सराहते भी हैं : वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी,,,,,,,सुनते ही आप दाद…
इंदिरा किसलय चीड़ों पर चाँदनी का भावुक अक्स उकेरते हुए “निर्मल वर्माजी” हों, आँखिन देखी कहने वाले “हरिशंकर परसाई”, आषाढ़ का एक दिन की यादों में भीगी “अनिता राकेश”,तमस के…
-कमलेश भारतीय साहित्य से रोजी रोटी नहीं चल सकती । मेरी पहली ही किताब इतनी चर्चित हूई कि देश विदेश की 27 भाषाओं में अनुवाद हुई जिससे मुझे पैसे मिले…
भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा देशभर से चयनित छह साहित्यकारों में से एक विभूषित साहित्यकार डॉ सत्यवान सौरभ को पच्चीस हजार पुरस्कार राशि, अंग वस्त्र, सरस्वती प्रतिमा व पंडित प्रताप…