Tag: — डॉo सत्यवान सौरभ

अवैध अतिक्रमण पूरे देश की एक गंभीर समस्या है

सार्वजनिक भूमि के अतिक्रमण की रोकथाम में स्थानीय अधिकारियों और राज्य सरकारों को सक्रिय होना चाहिए। नागरिकों को नियमों और विनियमों का पालन करना चाहिए और यदि वे कानून के…

सोनाली फोगाट का मर्डर या हार्ट अटैक………. देश में राजनीतिक हत्याओं का दौर नया नहीं है ?

अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, इंदिरा गांधी और बेनजीर भुट्टो की जीवन ज्योति उनके राजनीतिक जीवन के चरम पर बुझा दी गई। आजादी के बाद से राजनीतिक हत्याओं का दौर…

मृत्यु का कारण बनती नकली और घटिया निम्न कोटि की दवाएं

सबसे अधिक मात्रा में दवाइयां बनाने में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश में सबसे तेज गति से बढ़ रहे इस कारोबार के बढ़ने के साथ ही…

वन्य जीवों और पेड़ों के लिए अपनी जान पर खेलता बिश्नोई समाज

राजस्थान के बिश्नोई समाज की महिलाएं हिरण के बच्चों को बिल्कुल मां की तरह पालती है, यहां तक की उन्हें अपना दूध भी पिलाती है। बिश्नोई समाज ने पर्यावरण संरक्षण…

देश को आज फिर एक सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है।

भारत अब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की चपेट में है। भीड़ वाले कब्रिस्तानों में कोविड के अंतिम संस्कार के वीडियो के साथ सोशल मीडिया फीड भरा हुआ है, हांफते हुए मरीजों…

देश का मेहनतकश, सच्चा किसान कभी जयचंद नहीं हो सकता.

किसान आंदोलन और लाल किले पर ऐसे खालिस्तानी झंडा फहराना भारत की प्रभुसत्ता को ललकारना है. यह बात तो सच है कि आज इन प्रोटेस्टर्स की काली करतूत देश के…

ख़बरों के पीछे दौड़ती पत्रकारिता, थोड़ी रैड लाइट की जरूरत

किसी भी मीडिया संस्थान की पहली खबर से अगर लोगों के चेहरे पर मुस्कान न आये तो वह कैसी पत्रकारिता ? आज देश भर के चैनलों और अख़बारों में खबर…

सत्यमेव जयते के पुजारी है आईoबीo के सेवानिवृत्त अधिकारी नरेश नाज

केंद्रीय खुफिया विभाग( IB) में 1970 में नेशनल पुलिस एकेडमी माउंट आबू (राजस्थान) से ट्रेनिंग से इनका शुरू हुआ नाज का सफ़र 2007 में चंडीगढ़ में अवकाश प्राप्त से समाप्त…

साहित्यिक चोरों की पोल खोलती है ‘छापकटैया’

छापकटैया पुस्तक के माध्यम से प्रो. राजेंद्र बड़गूजर ने हर प्रकार के साहित्यिक चोरों की पोल खोल कर रख दी है. इन्होंने ऐसे लोगों के गोरखधंधों की पोल खोलकर सीधे-साधे…

पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है ऐसे में सयुंक्त राष्ट्र कहाँ है?

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है. भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधारों को लेकर लंबे समय से इंतजार…

error: Content is protected !!