रैगिंग कितनी घातक ,,,,?

-कमलेश भारतीय

काॅलेज और खासतौर पर यूनिवर्सिटीज के इंजीनियर्स व डाॅक्टर्स के कोर्सिज में रैगिंग का घातक चलन जारी है जबकि हर काॅलेज /यूनिवर्सिटी में लिखा जरूर रहता है जगह जगह -रैगिंग : जीरो टोलरेंस पर यह होस्टल्ज में धड़ल्ले से की जाती है और कुछ छात्र/छात्रायें इसके बुरी तरह शिकार होते हैं और पढ़ाई तक नहीं कर पाते और अजीब तनाव व अवसाद में घिर जाते हैं । या खुद मर जायें या सामने वाले को मार दें जैसे ख्याल मन में आने लगते हैं ।

कुछ ऐसा ही हुआ है अग्रोहा मेडिकल काॅलेज की एमबीबीएस की छात्रा के साथ जो तीन वर्ष से लगातार अपनी दो सीनियर्ज छात्राओं की रैगिंग की शिकार होती आ रही थी और आखिरकार तंग आकर उसने ऊंची मंज़िल से छलांग लगा कर जान देने की कोशिश की पर सौभाग्य से बच गयी । पीड़िता छात्रा और उसकी मां ने पुलिस में उन दो सीनियर्ज छात्राओं के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया है और मैनेजमेंट खासतौर पर हाॅस्टल वार्डन पर मामले पर ध्यान न देने का आरोप लगाया है और इसीलिए यह रैगिंग तीन साल तक जारी रही और पीड़िता छात्रा ने जान देने का फैसला किया । पीड़िता का गंभीर आरोप है कि सीनियर्ज छात्रायें उसे हाॅस्टल की छत पर ले जाकर निर्वस्त्र होने के लिए दवाब बनातीं और मना करने पर छत से धक्का देने की धमकी देतीं । उन्होंने दूसरी छात्राओं में उसके बारे में गंदे वाट्स अप भी पोस्ट कर उसे बिल्कुल अकेली रहने पर मजबूर कर दिया था । यहां तक कि किसी कल्चरल प्रोग्राम में भी शामिल न होने दिया । इससे आखिर वह टूट गयी क्योंकि न मैनेजमेंट ने सुनीं और न हाॅस्टल वार्डन ने । अब हाॅस्टल वार्डन तो इस स्थिति से साफ अनजान होने का दावा कर बचने की कोशिश में है और मैनेजमेंट लड़की की काउंसिलिंग करवाने की दुहाई देकर बच निकलने की कोशिश कर रही है ।

जो भी हो इस मामले की कड़ी जांच होनी चाहिए और जो छात्रा तीन वर्ष लगा चुकी वह डाॅक्टर बनने का सपना बीच में न छोड़ जाये , ऐसे प्रयास होने चाहिएं । यदि सीनियर्ज दोषी पाई जाती हैं तो कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए । यह तो एक ही मामला नहीं है । पहले भी कुछ वर्षों में ऐसे मामले इस संस्थान के उजागर हो रहे हैं । यदि संस्था को उच्चस्तरीय बनाना है तो ऐसे सख्त कदम उठाने जरूरी हैं न कि इस मामले पर लीपा-पोती करने की जरूरत है ।
-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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