ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला

अमित नेहरा

उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा द्वारा कथित रूप से गाड़ी से कुचल कर मारे गए किसानों की घटना वहां से 800 किलोमीटर दूर स्थित ऐलनाबाद में भी बीजेपी का सिरदर्द बनी हुई है।

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चे ने इस हादसे में शहीद हुए किसानों के अस्थि कलश को पूरे देश में जन-जन तक ले जाने की योजना बना रखी है ताकि देशवासियों को इस लोमहर्षक कांड के बारे में जागरूक किया जा सके। इसी कड़ी में यह अस्थि कलश यात्रा बीते 20 अक्टूबर से ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव में घूम रही है। इसका ऐलनाबाद में समापन 23 अक्टूबर को है, इस अवसर पर गुरनाम सिंह चढूनी स्वंय ऐलनाबाद में मौजूद हैं।

लेकिन इससे पहले इस अस्थि कलश यात्रा में एक और पंगा हो गया। शनिवार की सुबह ज्यों ही यह अस्थि कलश यात्रा गांव गिगोरानी बस अड्डे से नाथूसरी की तरफ जा रहे थी सिरसा की तरफ से आ रही एक कार ने अस्थि कलश वाली बोलेरो गाड़ी को सीधी टक्कर मार दी। गाड़ी में में गुरुद्वारा चिल्ला साहब के सेवादार मलकीत सिंह निवासी रामपुर थेहड़ी व कृष्ण लाल निवासी रामनगरिया बैठे थे। इस हादसे में मलकीत सिंह व चालक कृष्ण लाल को चोटें आई व गाड़ी को नुकसान पहुंचा। इसके बाद वहाँ हंगामा शुरू हो गया कि शायद यह अस्थि कलश यात्रा में विघ्न डालने का कोई षड़यंत्र है। काफी समय बाद जाकर साफ हुआ कि यह कोई षड़यंत्र नहीं बल्कि हादसा ही था।

इस अस्थि कलश यात्रा के ऐलनाबाद में होने के बड़े मायने हैं। चूँकि यह उपचुनाव नए कृषि कानूनों के समर्थन और विरोध के आधार पर लड़ा जा रहा है तो किसान संगठन अस्थि कलश यात्रा को यहाँ भावनात्मक मुद्दा बनाना चाहते हैं। जहाँ हरियाणा के बाकी जिलों में इस अस्थि कलश यात्रा को एक-दो दिन ही घुमाया गया वहीं ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इसे पूरे चार दिन तक सभी गाँवों में ले जाया गया। इसका मकसद किसानों को बीजेपी के प्रति लामबद्ध करना है। इस अस्थि कलश यात्रा के कारण बीजेपी प्रत्याशी को अपने अनेक प्रोग्राम रिशेड्यूल करने पड़े। गाँवों इस पर चटखारे लेकर खूब चर्चाएं चलीं।

गौरतलब है कि किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और इनेलो के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे अतः यह देखना दिलचस्प रहेगा कि चढूनी बीजेपीको हराने के लिए किसकी फेवर करेंगे। खैर, अभी तो इस उपचुनाव में काफी उतार चढ़ाव आएंगे। तब तक राजनीति के मजे लेते रहिये।
क्रमशः

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)

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