सबका साथ- सबका विकास केवल मात्र एक छलावा है ,यह प्रदेश का किसान भली- भांति-भांति समझ चुका है कि किस का विकास हो रहा है : चन्द्र मोहन

पंचकूला 16 अक्टूबर- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में खाद की कालाबाजारी हो रही है किसान खाद लेने के लिए दिन भर लम्बी लम्बी लाइनों खड़े होकर अपने दुर्भाग्य को कोसते हुए निराश होकर घर चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार अंधी- बहरी हो गई है उसे किसानों के दुःख और संवेदनाओं कोई सरोकार नहीं है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि पहले तो केन्द्र सरकार ने कोविड काल के दौरान यूरिया और डी ए पी खाद के दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की और अब खाद की कृत्रिम किल्लत पैदा करके कालाबाजारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार कारपोरेट घरानों के इशारों पर चलती है। इस लिए जो इशारा इन कारपोरेट घरानों से मिलता है वहीं देश में किसानों पर लागू किया जा रहा है ।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में खाद की कृत्रिम कमी पैदा करके जहां कालाबाजारी को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं हरियाणा ‌सरकार मौन धारण करके इस कालाबाजारी को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने के साथ साथ किसानों के लिए मौत का कारण भी बन रही है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि किसानों पर तीन काले कृषि कानूनों को थोपने के साथ- साथ उन्हें अपनी पैदावार के भाव भी बेहतर नहीं मिल रहे हैं। जिस प्रकार से सन् 2014 में फसलों के दाम 2022 तक दौगुना करने का झांसा देकर किसानों के साथ अन्याय किया गया है था और यह सब जुमला साबित हुआ है। किसानों की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है और यही कारण है कि किसान अपने बच्चों के‌ भविष्य को बचाने के लिए शान्ति पूर्ण तरीके से पिछले 10 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं और इसका खामियाजा 700 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री को आईना दिखाते हुए कहा कि सबका साथ- सबका विकास केवल मात्र एक छलावा है ,यह प्रदेश का किसान भली- भांति-भांति समझ चुका है कि किस का विकास हो रहा है। उन्होंने मांग कि है कि परमात्मा के नाम पर भोले-भाले किसानों के साथ राजनीति करना बंद करो क्योंकि आने वाला समय किसानों का है। इस लिए देश के अन्नदाता किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना छोड़िए और अपनी सरकार की अकर्मण्यता और असंवेदनहीनता का ठीकरा किसानों पर लाठीचार्ज करके फोड़ना बंद करे क्योंकि किसान पहले ही कठिन दौर से गुज़र रहा है।

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