चंडीगढ़, 15 अक्तूबर – भारत निर्वाचन आयोग ने उप-चुनावों के दौरान मतदाताओं के प्रतिरूपण को रोकने के लिए सभी निर्वाचन क्षेत्रों के सभी मतदाताओं को वोट डालने से पहले मतदान केंद्र पर उनकी पहचान के लिए मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जो मतदाता ईपीआईसी प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं, वे आयोग द्वारा निर्दिष्ट वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केंद्रीय, राज्य सरकार, सार्वजनिक उपक्त्रमों या सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों और एमएलसी को जारी किए गए आधिकारिक पहचान पत्र में से एक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं।

प्रवक्ता ने विस्तार से बताया कि ईपीआईसी के मामले में लिपिकीय त्रुटियों, वर्तनी की गलतियों आदि को नजरअंदाज किया जाना चाहिए, बशर्ते मतदाता की पहचान ईपीआईसी द्वारा स्थापित की जा सके। इसके अलावा, यदि कोई मतदाता किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी किया गया ईपीआईसी दिखाता है, तो ऐसे ईपीआईसी को भी पहचान के लिए स्वीकार किया जाएगा, बशर्ते मतदाता का नाम उस मतदान केंद्र से संबंधित मतदाता सूची में हो जहां मतदाता मतदान के लिए आया है।

हालांकि, यदि फोटोग्राफ आदि के बेमेल होने के कारण मतदाता की पहचान स्थापित करना संभव नहीं है, तो मतदाता को उपर्युक्त वैकल्पिक फोटो दस्तावेजों में से एक दस्तावेज दिखाना होगा। साथ ही, विदेशी मतदाता जो अपने भारतीय पासपोर्ट के विवरण के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हैं, मतदाता केंद्र में उनकी पहचान  केवल उनके मूल पासपोर्ट (कोई अन्य पहचान दस्तावेज नहीं) के आधार पर ही की जाएगी।

इसके अलावा, चुनाव आयोग ने निर्दिष्ट किया है कि चुनाव संचालन नियम, 1961 और चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए पूरक निर्देशों के तहत ईवीएम और वीवीपैट प्रिंटर के माध्यम से वोट दिए और दर्ज किए जाएंगे। 

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