किसान आंदोलन का प्रभाव रहेगा या रणनीति पड़ेगी भारी ?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। ऐलनाबाद का चुनावी मैदान सज चुका है। इनेलो से फिर अभय चौटाला मैदान में हैं। इन्होंने किसानों के पक्ष में इसी सीट से त्याग पत्र दिया था। कांग्रेस से पवन बैनीवाल को टिकट मिली है। पवन बैनीवाल किसी जमान में अभय चौटाला के मित्र हुआ करते थे। पिछला चुनाव वह भाजपा से लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे और भाजपा ने गोविंद कांडा को टिकट दिया है। इसके अतिरिक्त अभी 23 प्रत्याशी और हैं। पता नहीं कितने अभी नाम वापिस लेंगे और यह भी नहीं पता कि कितनों को पार्टियों ने विपक्षियों की वोट काटने के लिए खड़ा किया है।

हमने अनेक राजनैतिक विश्लेषकों से चर्चा की तो निकलकर यह बात सामने आई कि अभय चौटाला के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहने वाला। उन्हें गोविंद कांडा बराबर की टक्कर देंगे और बाजी मार भी सकते हैं। कांग्रेस के पवन बैनीवाल अभी तक मुख्य लड़ाई में माने नहीं जा रहे।

पवन बैनीवाल की कमजोरी के कारणों पर नजर डालें तो मुख्य कारण कांग्रेस की कलह है। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने उन्हें भाजपा से कांग्रेस में शामिल कराया और टिकट दिलाने में भी कामसाब रहीं। ध्यान देने योग्य बात है कि कुमारी शैलजा की कर्मभूमि सिरसा ही है। उनके पिता और वह यहां से कई बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री भी बने। अत: यह पक्ष तो पवन बैनीवाल के लिए लाभकारी ही है।

पवन बैनीवाल के चाचा भरत सिंह बैनीवाल भी टिकट के दावेदार थे और माना जाता है कि वह भूपेंद्र हुड्डा के गुट के हैं और भूपेंद्र हुड्डा उन्हें टिकट दिलाना चाहते थे। भरत सिंह बैनीवाल ने तो यहां तक कह दिया कि पवन बैनीवाल गुंडे हैं और मैं इनका साथ देने वाला नहीं हूं।

राजनीति में कुछ भी संभव है यह कहा जाता है। तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में लोगों का विचार है कि वह शैलजा के प्रत्याशी को कभी जीतने नहीं देंगे और कांग्रेस हाइकमान को यह संदेश देंगे कि यदि मेरी पसंद के उम्मीदवार को मैदान में उतारते तो पार्टी जीत दर्ज करती। यदि यहां से पवन बैनीवाल जीत जाएंगे तो इससे प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा का कद बढ़ेगा और हुड्डा कभी नहीं चाहेंगे कि कुमारी शैलजा का कद केंद्रीय नेतृत्व में मजबूत हो। यह आंकलन राजनीतिक चर्चाकारों से चर्चा कर निकला है। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा यह भी नहीं चाहेंगे कि अभय चौटाला यह चुनाव जीत जाएं, क्योंकि हुड्डा के एकछत्र जाट नेता बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चौटाला परिवार ही है। यदि वह चौटाला परिवार को उसके घर में ही हरा दें तो एक बार तो इनेलो वर्तमान परिस्थितियों में हरियाण में राज करने की संभावना से दूर हो जाएगी और हुड्डा जाटों के एकछत्र नेता बन जाएंगे।

2009 में जब भूपेंद हुड्डा ने सरकार बनाई थी तो गोपाल कांडा ने उनको समर्थन दिया था और वह उनकी सरकार में मंत्री भी बने थे। अब गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा मैदान में हैं तो भूपेंद्र हुड्डा के पास अहसान उतारने का मौका है।

इन बातों को बल इस बात से भी मिलता है कि भूपेंद्र हुड्डा आज रविवार (10 अक्टूबर 2021) को विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करनाल से करने जा रहे हैं। प्रश्न यह है कि जब भाजपा अपने सभी विधायकों, कार्यकर्ताओं को ऐलनाबाद अपने प्रचार के लिए बुला रही है। ऐसे समय में भूपेंद्र हुड्डा विधायकों के साथ विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं?

तात्पर्य यह है कि जब उन्हें भरत सिंह बैनीवाल को मना कर और अपने साथ लेकर पवन बैनीवाल के पक्ष में प्रचार में जुट जाना था, उस समय वह विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं। 

उपरोक्त स्थितियों को देखकर यह अनुमान लगाना अभी जल्दी होगा कि ऐलनाबाद का ताज किसके सिर सजेगा? बेहतर रणनीति और घात-प्रतिघात के खेल किस पर कितना असर डालेंगे, यह आने वाले समय में दृष्टिगोचर होने लगेगा।

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