भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा छोटा-सा राज्य है लेकिन सदा ही राजनीति की दशा और दिशा तय करने में इसकी मुख्य भूमिका है। सर्वप्रथम गठबंधन की राजनीति भी हरियाणा से ही आरंभ हुई थी राव वीरेंद्र सिंह द्वारा और वर्तमान में जो देश में मोदी जी की सरकार चल रही है, उसकी शुरुआत भी हरियाणा के रेवाड़ी राव तुलाराम की भूमि से हुई थी तथा हरियाणा की अपनी सरकार, वह तो मोदी जी के निर्देश में ही चल रही है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर प्रथम बार 2014 में विधायक बने थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद होने के कारण हरियाणा के मुख्यमंत्री पद का भार संभाला। 2019 के चुनाव में भी उन्हीं को मुख्यमंत्री घोषित कर 75+ के नारों के साथ चुनाव लड़ा गया, मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद रैली की खुब चर्चा रही और परिणाम 75+ तो नहीं लेकिन दोबारा सरकार बनाने में सफल रहे, चाहे गठबंधन से ही सही दोबारा सरकार बनाना ही उपलब्धि से कम नहीं। वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ हैं, वह झज्जर से मंत्री होते हुए भी अपना चुनाव हार गए थे लेकिन प्रधानमंत्री की कृपा दृष्टि हो तो इन बातों का क्या महत्व रह जाता है?

माननीय मुख्यमंत्री आजकल भाजपा संगठन के सभी मोर्चों की मीटिंग ले रहे हैं अपने निवास पर। संगठन में इसके लिए फुसफुसाहट भी होने लगी है कि मुख्यमंत्री का काम अपने मंत्रियों की मीटिंग लेना है और प्रदेश की समस्याओं से रूबरू होना है। संगठन की मीटिंग तो प्रदेश अध्यक्ष लिया करते हैं। यदि कुछ संगठन से कार्य लेना हो तो आपस में प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की मीटिंग हो जाती है लेकिन यहां तो मुख्यमंत्री ही मीटिंग ले रहे हैं और प्रदेश अध्यक्ष उन मीटिंगों में दिखाई नहीं दे रहे।

बात होती है तो चर्चा भी चलती हैं। वर्तमान में चर्चा चल रही है कि यह सब 23 तारीख को पाटौदा निवासियों द्वारा राव तुलाराम के शहीदी दिवस मनाने के कारण हो सकता है, क्योंकि उस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राव इंद्रजीत सिंह थे और अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने की थी। सांसदों में भिवानी के सांसद धर्मबीर, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक, रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा और राज्यसभा के सांसद कर्नल डीपी वत्स उपस्थित थे। साथ ही हरियाणा सरकार के मंत्री डॉ. बनवारी लाल और ओमप्रकाश यादव भी मौजूद थे और विधायक भी थे। उस कार्यक्रम में मंच पर मुख्यमंत्री का कोई फोटो भी नहीं था और न ही उस कार्यक्रम का मुख्यमंत्री को आमंत्रण था।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की अनबन आरंभ से ही जगजाहिर है और बेशक वह शहीदों का सम्मान था, मुख्यमंत्री की ओर से यह कहा नहीं गया कि उस कार्यक्रम में कार्यकर्ता या मंत्री उपस्थित हों। पाटौदा के बिल्कुल साथ लगते पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता भी कार्यक्रम में नहीं थे। प्रदेश अध्यक्ष की अध्यक्षता होने के पश्चात भी गुरुग्राम जिले के भाजपा संगठन ने उस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। 

चर्चा यही है कि मुख्यमंत्री को प्रदेश अध्यक्ष द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता करना पसंद नहीं आया और इसीलिए सोच-विचारकर मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया कि सभी मोर्चों से मैं अपने भी व्यक्तिगत संपर्क रखूं। वह सब मोर्चों से लगातार मिल रहे हैं। वैसे तो हमारे मुख्यमंत्री की आदत ही है कि वह हर कार्य को खुद देखें। जिस कारण कई बार उनके गृहमंत्री अनिल विज से भी विचारों के न मिलने के समाचार बहुत चर्चित रहे हैं। मुख्यमंत्री का सोचना शायद यह है कि मुख्यमंत्री होने के नाते मंत्रियों को विभाग तो मैंने अपने कार्य को कम करने के लिए दिए हैं लेकिन मुख्यमंत्री होने के नाते सारी जिम्मेदारी तो मेरी है। अत: वह जिस प्रकार सभी विभागों को देख रहे हैं।

अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोनों कृपा पात्रों में सामंजस्य बना रहेगा या यहां भी कुछ अनबन की स्थिति आ सकती है।

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