एचएयू के विभिन्न विभागों का दौरा कर गदगद हुए राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय

महिलाओं, बेरोजगार युवकों, किसानों के लिए किए जा रहे प्रयासों की जमकर की सराहना

हिसार : 05 अक्टूबर – हरियाणा के राज्यपाल एवं चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलाधिपति माननीय श्री बंडारू दत्तात्रेय ने अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों का दौरा कर यहां चल रहे शोध व शिक्षण कायों का जायजा लिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से महिलाओं, बेरोजगार युवाओं और किसानों के लिए किए जा रहे प्रयासों से वे गदगद हो गए और विश्वविद्यालय की जमकर सराहना की। इस दौरान उन्होंने आण्विक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विभाग की लैब का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने फंक्शनल जीनोमिक्स एंड मोलिक्यूलर ब्रीडिंग लैब का भी दौरा किया और जानकारी प्राप्त की। कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने राज्यपाल को बताया कि  यहां किसानों के लिए टीस्यू कल्चर तकनीक से एक पौधे के छोटे से भाग से छह महीने में रोग रहित करीब पचास हजार पौधे तैयार किए जा सकते हैं। जिन पौधों में बीज नहीं बनता या फिर बहुत कम बनता है, उनके लिए यह तकनीक बहुत ही फायदेमंद है। गन्ने के वायरस रहित पौधे इस टीस्यू कल्चर तकनीक से तैयार किए जा रहे हैं। अभी तक गन्ना, केला व अन्य औषधीय पौधों के करीब पांच लाख पौधे किसानों को मुहैया करवाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में गुदाउदी, केले व अन्य फूलों व फलों के पौधे किसानों को मुहैया किफायती दरों पर मुहैया करवाए जाएंगे।

विश्वविद्यालय की उन्नत किस्मों, महिलाओं व स्टार्टअप्स के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की

इस दौरान राज्यपाल ने एबिक से जुडक़र अपना व्यवसाय शुरू करने वाले स्टार्टअप्स से मुलाकात की और साथ ही उनके द्वारा लगाई गई हाइड्रोफोनिक तकनीक की प्रदर्शनी, वैल्यू एडीशन, टैरिफ गार्डनिंग के लिए गमले, पीपीपी मोड पर बॉयोफर्टिलाइज लैब, सब्जी विज्ञान विभाग की ओर से रूट ग्राफटिंग तकनीक, मौसम विज्ञान विभाग की ई-मौसम सेवा, गृह विज्ञान महाविद्यालय की ओर से खेती-बाड़ी के लिए प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सहायक वस्त्रों, बाजरे के बिस्कुट, इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसके अलावा अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न फसलों की विकसित उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी हासिल की। इस दौरान गेहूं की हाल ही में विकसित की गई अधिक पैदावार देने वाली किस्म डब्ल्यूएच 1270, सरसों, तिलहन व दलहन सहित अन्य फसलों की भी जानकारी हासिल की।

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