–कमलेश भारतीय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन आया । कहीं समर्थन और खुशी में रक्तदान शिविर लगाये गये तो कहीं पौधारोपण किया गया । इसके विरोध में कुछ दलों के उत्साही कार्यकर्त्ताओं ने पकौड़े तल कर बेरोजगारी दिवस मनाया । यह इसलिए कि युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा और एक समय प्रधानमंत्री ने कह दिया था कि पकौड़े बेचना भी रोज़गार है । अब पकौड़े तल कर विरोध करने वाले कह रहे हैं कि एक दिन पकौड़ों की रेहड़ी लगाना भी बहुत महंगा है । यानी महंगाई की ओर भी ध्यान दिलाया । क्या जन्मदिन पर इस तरह अलग अलग प्रतिक्रियाएं आनी चाहिएं ? शायद नहीं । प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है तो लाल बहादुर शास्त्री को भी जय जवान, जय किसान कै लिए याद किया जाता है । इंदिरा गांधी को नारी सशक्तिकरण से जोड़ा जाता है । फिर नरेंद्र मोदी को ही बेरोजगारी के साथ क्यों जोड़ा गया ? क्या इसलिए कि युवाओं को ख्वाब दिखाये थे अच्छे दिनों के आने के ? अब भी जिस राज्य में विधानसभा चुनाव आते हैं, वहीं रोज़गार के सपने दिखाये जाने लगते हैं लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद युवा फिर खाली हाथ रह जाते हैं । उनके अच्छे दिन नहीं आते । क्यों ? युवाओं को काम दीजिए और उनके सपनों को उड़ान दीजिए । कौशल विकास योजना को और प्रभावशाली बनाइए । कुछ और बजट बढ़ाइए इस योजना का । प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर हमारी ओर से शुभकामनाएं लेकिन युवाओं को खाली हाथ न रहने दीजिए । आत्मनिर्भरता का पाठ जरूर पढ़ाइए लेकिन कुछ नयी योजनाएं लगाइए ताकि अगले जन्मदिन पर शुभकामनाएं मिलें न कि पकौड़े तल तल कर विरोध ।–पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation भारतीय जनता पार्टी अपनी झेप मिटाने के लिए प्रदेश में नौटंकी कर रही है – बजरंग गर्ग राजगढ रोड पर भाजपा कांग्रेस आमने सामने