किसी खास अवसर पर जरूर करें पौधारोपण, उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी लें : प्रोफ़ेसर बीआर कांबोज

एचएयू में पौधारोपण कर मनाया माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन

हिसार : 18 सितम्बर – प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन काल में किसी न किसी खास अवसर पर पौधारोपण अवश्य करना चाहिए। साथ ही उसकी देखभाल व पालन पोषण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए ताकि वह अच्छे से फल-फूल सके और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सके। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे।

वे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 71 वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविदद्यालय परिसर में पौधारोपण करने के उपरांत बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के भू-दृश्य सरंचना इकाई की ओर से किया गया था। कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय के ओल्ड कैंपस और उसके आसपास के क्षेत्र में पौधा रोपण किया गया। मुख्यातिथि ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। हमें ऐसे महान व्यक्तित्व के जन्मदिन पर पौधारोपण करना उन्हें सही मायनों में जन्मदिन की बधाई देना है। उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए हम कामना करते हैं कि भगवान उन्हें स्वस्थ रखे ताकि वे ओर अधिक ऊर्जा के साथ सदैव देश सेवा में जुटे रहें।

उन्होंने कहा कि लगातार विश्वविद्यालय में पौधारोपण किया जा रहा है ताकि विश्वविद्यालय का सारा परिसर हरा-भरा नजर आए। इससे एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण होगा वहीं प्रदूषण से भी निजात मिलेगी। पौधारोपण अभियान के तहत चिकरेशिया, गुलमोहर, अमलतास, कचनार, शहतूत, नीम, जामुन, अमरूद, नींबू, अर्जुन आदि प्रकार के पौधे लगाए गए। इस दौरान मौजूद सभी अधिकारियों ने पौधारोपण कर माननीय प्रधानमंत्री जी को जन्मदिन की बधाई दी।

इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. एस.के. मेहता, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा, छात्र कल्याण निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह दहिया, अधिष्ठाता डॉ. अमरजीत कालड़ा, डॉ. एम.एस. सिद्धपुरिया, डॉ. राजवीर सिंह, डॉ. बिमला ढांडा, पुस्कालयाध्यक्ष डॉ. बलवान सिंह, भू-दृश्य सरंचना इकाई के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रीति मलिक सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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