-जयप्रकाश दलाल,कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री हरियाणा

 महात्मा गांधी,सरदार पटेल और नरसी मेहता की जन्मभूमि गुजरात के धरती पुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां गांधी जी की कर्तव्यपरायणता और सरदार पटेल की निर्भीक कर्मण्यता से प्रेरित हैं वहीं उनके राजनीतिक दर्शन का मूलमंत्र अंत्योदय है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन से प्रेरणा लेकर नरेंद्र मोदी देश के अंतिम पायदान पर खड़े एक-एक व्यक्ति के पूर्ण विकास को समर्पित हैं। उनके प्रत्येक निर्णय में वंचित, गरीब, मजदूर,जवान और किसान है। ‘अन्नदाता सुखी भवः’, इसके लिए कृषि क्षेत्र का उत्थान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जब हर कोई होली,दिवाली जैसे त्योहार अपने परिजनों के बीच मनाना चाहते हैं वहीं मोदी जी हर होली,दिवाली देश की सीमाओं के प्रहरी सैनिकों के साथ मनाते हैं।

   गांधीजी द्वारा प्रतिपादित मानवता, समानता और समावेशी विकास के सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने भारत के ही नहीं बल्कि दुनियां के तमाम देशों के अब तक के सबसे अधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त किया है। नव भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपनों को लेकर एक श्रेष्ठ और समर्थ भारत के निर्माण को संकल्पित एंव समर्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 17 सितंबर को 71 वर्ष के हो गए।

    17 वर्ष की आयु में जहां आम बच्चे अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं, वहीं नरेंद्र मोदी ने उस आयु में एक असाधारण प्रण लिया। घर छोड़ देश भर के जनमानस को करीब से समझने का निर्णय लिया। स्वामी विवेकानंद(जन्म का नाम नरेंद्र) की भांति उन्होंने जहां देश के तमाम इलाकों का भ्रमण कर वहां की लोकसंस्कृतियों का करीब से अनुभव किया वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक होते हुए उन्होंने संगठन कौशल, राष्ट्र धर्म और जन सेवा के महत्व को समझ जनसमस्याओं को भी करीब से देखा और समझा।   

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 12 वर्षों तक गुजरात में हुए समग्र विकास के आधार पर पूरे देश ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार्यता दिलाई। ‘सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के मूलमंत्र से उन्होंने देश का अभूतपूर्व सर्वांगीण विकास किया। पिछले सात वर्षाें में केंद्र से लेकर राज्य और जिला स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था में ऐसा सामजस्य और नियंत्रण स्थापित हुआ जिससे कल्याणकारी योेजनाओं के किर्यान्वयन का लाभ समाज के वंचित आखिरी मानस को मिला। ऐसे नव भारत के निर्माण की नींव रखने वाले नरेन्द्र मोदी करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का चेहरा हैं।  

26 मई 2014 से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला तभी से वह देश को उस शिखर पर ले जाने के लिए अग्रसर हैं, जहां हर देशवासी अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सके। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्वतंत्र भारत के अब तक के इतिहास में अद्वितीय है।  

उनका चिंतन, राष्ट्र चिंतन बन गया है। देश में 2020 में कोरोना महामारी की दस्तक के समय 14 अप्रैल को उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए यजुर्वेद के एक श्लोक का उल्लेख किया था -‘वयं राष्ट्रे जागृत्य’, अर्थात हम सभी अपने राष्ट्र को शाश्वत और जागृत रखेंगे। आज यह पूरे राष्ट्र का,जन-जीवन का संकल्प बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिक और राष्ट्र के प्रति सेवा धर्म का जो कर्तव्यपथ तैयार किया है, उस पर सम्पूर्ण भारत उनके साथ है। 

व्यक्तिगत जीवन हो या राजनीतिक जीवन, पूर्व के सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना में इनका जीवन अधिक कठिनाईयों भरा रहा है। लेकिन नरेंद्र मोदी हर परीक्षा में सफल रहे हैं। आज कोरोना महामारी से बचाव में देश के 75 करोड़ से अधिक लोगों के टीकाकरण ने साबित कर दिया है कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत विश्व में कहीं बेहतर ढंग से इस महामारी से लड़ रहा है।  

‘तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ‘ की भावना से मानवता की सेवा में मोदी जी अब तक 103 करोड़ रुपये अपने व्यक्तिगत फंड से दान कर चुके हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान मिले सभी उपहारों की नीलामी कर मिले 90 करोड़ रुपये को कन्या केलवनी फंड, 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने से पहले अपने निजी बचत के 21 लाख रुपये गुजरात सरकार के कर्मचारियों की बेटियों की पढ़ाई के लिए, 2015 में मिले उपहारों की नीलामी से जुटाए गए 8.35 करोड़ रुपये नमामि गंगे मिशन को,2019 में कुंभ मेले में निजी बचत से 21 लाख रुपये स्वच्छता कर्मचारियों के कल्याण के लिए बनाए गए फंड को, 2019 में ही साउथ कोरिया में सियोल पीस प्राइज में मिली 1.3 करोड़ की राशि को स्वच्छ गंगा मिशन को, प्रधानमंत्री के तौर पर मिले स्मृति चिन्हों की नीलामी में 3.40 करोड़ रुपये भी नमामि गंगे मिशन को उन्होंने दिए।

  भारतीय जन आस्था के केंद्र और विश्व की सांस्कृतिक नगरी अयोध्या में भगवान् श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम’। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे, कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हम सबकी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास जताया कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्र भारत के सबसे परिवर्तनकारी नेतृत्व हैं। उनके नेतृत्व में, भारत ने सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन देखा, जिसमें भारतीय जनता पार्टी का उदय सत्ताधारी दल के रूप में एक नई राजनीतिक सोच तथा शैली में हुआ। नरेंद्र मोदी के परिवर्तनकारी एवं प्रभावी नेतृत्व में आधुनिक, डिजिटल, भ्रष्टाचार-मुक्त, जवाबदेह और विश्वसनीय सरकार के आविर्भाव में जनता को भागीदार बना दिया है।  

वे न केवल सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि एक कविहृदय साहित्यकार भी हैं। अपने व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने दर्जनों पुस्तकें लिखी हैं। इनकी कविताओं के माध्यम से उनके दर्शन,उनके विचार और उनकी दृष्टि का सहजता के साथ अंदाजा लगाया जा सकता है। उनके हिन्दी कविता संग्रह है ‘साक्षी भाव’ जिसमें जगतजननी मां से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन है, में उनकी अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार के स्पष्ट दर्शन होते हैं। उनकी श्रेष्ठतम रचनाओं में ‘पुष्पांजलि ज्योतिपुंज’ में उन्होंने लिखा है कि संसार में उन्हीं मनुष्यों का जन्म धन्य है, जो परोपकार और सेवा के लिए अपने जीवन का कुछ भाग अथवा संपूर्ण जीवन समर्पित कर पाते हैं।   

प्रत्येक परिवार को पक्की छत उनका सपना है। हर गांव को चौबीस घंटे बिजली और स्वच्छ पेयजल,सबको शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार उनकी प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक ‘एक राष्ट्र, एक कर’, ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार हो रहा है। हम सब भाग्यशाली हैं कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और फिट इंडिया, टीम इंडिया के सामूहिक प्रयासों से ‘न्यू इंडिया’का निर्माण देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हो रहा है।

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