जीएसटी काउंसलिंग की 17 सितंबर को 45 वीं बैठक में पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे मे लाए-बजरंग गर्ग

सरकार को पेट्रोल व डीजल में टैक्स की दरें कम करके जीएसटी के दायरे में लाया जाए – बजरंग गर्ग
देश में पेट्रोल व डीजल की बेस प्राइस कम है और टैक्स उससे ज्यादा है – बजरंग गर्ग
पेट्रोल व डीजल के दामों में भारी भरकम बढ़ोतरी के कारण ट्रांसपोर्टिंग, उद्योगों का उत्पादन व खेती महंगी हो गई है – बजरंग गर्ग
केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू करते समय कहा था एक देश एक टैक्स होगा मगर 6 प्रकार के टैक्स जनता पर थोप दिए गए – बजरंग गर्ग
सरकार को टैक्स की दरें 2 प्रकार की हो जिसमें 5 प्रतिशत व अधिकतम 15 प्रतिशत करनी चाहिए – बजरंग गर्ग
सरकार को टैक्सों में सरलीकरण करके जनता को महंगाई से राहत देनी चाहिए – बजरंग गर्ग

चंडीगढ़ – अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने व्यापारियों की मीटिंग लेने के उपरांत कहा कि पेट्रोल व डीजल पर टैक्स कम करके इसे तुरंत प्रभाव से जीएसटी के दायरे में लाया जाए, जबकि पेट्रोल व डीजल की बेस प्राइस कम है उस पर केंद्र व प्रदेश सरकार का टैक्स ज्यादा है, जो जनता की जेबों में ढाका डालने वाली बात है।

17 सितंबर को जीएसटी काउंसलिंग की 45 वीं बैठक है। जीएसटी काउंसलिंग की बैठक में पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का निर्णय लेकर जनता को राहत देनी चाहिए, जबकि हर बार जीएसटी की बैठक में पेट्रोल व डीजल पर टैक्स कम करके जीएसटी के दायरे में लाने की बात कहीं जाती है मगर खाली विचार करके इस मामले को आगे विचार करने के लिए कहां जाता है जो देश की आम जनता के साथ ज्यादति है। राष्ट्रीय मुख्य महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार की गलत नीतियां व कोरोना महामारी के कारण आम जनता का बजट बिगड़ चुका है। पेट्रोल व डीजल के दामों में भारी भरकम बढ़ोतरी होने से देश व प्रदेश में ट्रांसपोर्टिंग पहले से 30 प्रतिशत महंगी हो गई है। यहां तक की उद्योगों में बनने वाला हर समान महंगा हो गया है और कृषि उत्पादन भी पहले से काफी महंगी हो गई है क्योंकि उद्योगों में चलने वाले जनरेटर व खेती में उपयोग आने वाले इंजन व ट्रैक्टरों में डीजल का उपयोग होता है।

ट्रांसपोर्टिंग महंगी होने से भी हर जरूरत का समान के साथ-साथ देश व प्रदेश में पहले से काफी ज्यादा महंगाई की मार जनता पर पड़ी है। जबकि सरकार ने जीएसटी लागू करते समय कहा था एक देश एक टैक्स भारत देश में होगा मगर भारत देश तो एक है पर देश में टैक्स दरें 6 प्रकार की हुई। सरकार को टैक्स का स्लैब अधिकतम दो प्रकार का करना चाहिए। जबकि खाद्य वस्तु व आम उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर 5 प्रतिशत व जरनल सभी समान पर अधिकतम 15 प्रतिशत टैक्स की दरें होनी चाहिए ताकि आम जनता पर जो नाजायज टैक्स का बोझ पड़ा हुआ है उससे राहत मिल सके।

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