वर्तमान समय में फसल विविधिकरण बहुत जरुरी, इससे पानी की खपत भी कम होगी व आय भी बढ़ेगी : जे.पी. दलाल

चंडीगढ़,14 सितंबर- हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा कि वर्तमान समय में फसल विविधिकरण बहुत जरुरी हो गया है । इससे पानी की खपत भी कम होगी व किसानों की आय भी बढ़ेगी । इससे न केवल भूमि की गुणवत्ता बनी रहती है बल्कि फसल की पैदावार भी अच्छी होती है।

श्री दलाल ने यह बात आज पीएचडी चैम्बर द्वारा आयोजित दो दिवसीय एग्री हॉर्टी 2021 कॉन्फ्रेंस कम एक्जीबिशन में बोलते हुए कही।

उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा मृदा शक्ति बचाए रखने के लिए (हर खेत-स्वस्थ खेत) हर एकड़ की उर्वरा शक्ति जांच कर किसानों को सॉयल हैल्थ कार्ड दिया जा रहा है । इस वर्ष 25 लाख एकड की सॉयल टेस्टिंग की जायेगी, ताकि किसान फर्टिलाईजर का जुडिशिस प्रयोग कर सके ।

कृषि मंत्री ने कहा कि पानी बचाने के लिए विभाग ने फसल विविधिकरण आरम्भ किया और मेरा पानी मेरी विरासत के तहत धान से दूसरी खरीफ की कम पानी लेने वाली फसलें अपनाने पर सात हजार रूपये प्रति एकड किसानों को दिये जा रहे हैं । पिछले वर्ष करीब एक लाख एकड और इस वर्ष भी लगभग एक लाख एकड भूमि पर किसानों ने धान को छोड दूसरी फसलें लगाई हैं। इसके अतिरिक्त, धान की सीधी बिजाई से 25 प्रतिशत पानी बचता है । डी.एस.आर. स्कीम को किसानों ने इस वर्ष राज्य के 8 जिलों में 20 हजार एकड भूमि पर अपनाया है, जिसके लिए उन्हें पांच हजार रूपये प्रति एकड का प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि फसल विविधिकरण के तहत बाजरा से मूंग व तिलहन पर भी चार हजार रुपये प्रति एकड प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि खडे पानी को निकालने के लिए व भूमि ड्रेनेज बढाने के लिए एक लाख एकड भूमि को ठीक किया जाएगा। किसानो के खेतो में पानी संरक्षण व भूमि कटाव रोकने के लिए गली पलगीग, नाका लगाना, रिटेनिंग वाल, तालाब सौन्द्रीयकरण एवं भूमि कटाव के लिए छोटे बाध इत्यादि का निर्माण करवाया जाता है ।

श्री दलाल ने बताया कि जमीन में मिटटी की पकड बनाए रखने के लिए व उसमें नाईट्रोजन का लेवल बनाएं रखने के लिए हरी खाद के रूप में ढेचे का बीज अनुदान पर किसानों को दिया जा रहा है ताकि हरी खाद से भूमि की उपजाउ शक्ति बनी रहे व भौतिक संरचना में भी निरन्तर सुधार हो ।

कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को कैमिकल फर्टिलाईजर की बजाए आरगेनिक फार्मिंग पर लाने के लिए भी सरकार द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है तथा पैस्टीसाईड का कम से कम प्रयोग व इन्टीग्रटिंड मैथड जिसमें दूसरे मित्र किट से बिमारी फैलाने वाले जीवों का नियन्त्रण हो सके, ऐसी सभी जानकारियां विभाग की तरफॅ से किसानो को कृषि विस्तार कार्यक्रमों के तहत लगातार दी जा रही है ।

उन्होंने कहा कि धान की पराली न जलाने के लिए सरकार पराली का (खेत में ही व खेत से बाहर लेकर जाना) प्रबन्धन पर भी विभाग करीब 200 करोड रुपये सालाना खर्च करता है ताकि भूमि की उर्वरता शक्ति को बचाया जा सके व वातावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सके । इस स्कीम के तहत किसानों को अनुदान पर कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाये जाते है जिससे फसल अवशेष का उचित प्रबन्धन करते है ।

इस अवसर पर पीएचडी चैम्बर के प्रेजिडेंट श्री संजय अग्रवाल ने कहा हरियाणा आज देश के सबसे अग्रणी राज्यों में से एक है ये सब हरियाणा सरकार की कुशल नीतियों और किसानो की मेहनत का ही नतीजा है की हरियाणा प्रगति के रास्ते पर तेजी से देश में सबसे अधिक अग्रसर है।

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