·         अधिकारी सबक लें कि सरकार के इशारे पर लोकतंत्र को लट्ठतंत्र मानकर चले तो दुष्परिणाम भुगतना होगा -दीपेंद्र हुड्डा

·         करनाल की घटना से स्पष्ट हो गया है कि डराने-धमकाने से किसान उलटा नहीं हटने वाला -दीपेंद्र हुड्डा

·         उम्मीद है कि न्यायिक जांच से न्याय होगा, अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी – दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 11 सितम्बर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने करनाल में धरनारत किसानों की मांगों को माने जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले। करनाल की घटना से सरकार को समझ आ जाना चाहिए कि किसान अपनी मांगे मनवाये बगैर उलटा नहीं हटेगा। किसान संगठनों के साथ ही उन्होंने पहले दिन से न्यायिक जांच की मांग की थी। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने उम्मीद जताई कि इस जांच से न्याय होगा और अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने मांग करी कि पिछले 10 महीनों में किसान धरनों पर जिन 500-600 किसानों की जान कुर्बान हुई है उनके परिवारों को भी आर्थिक मदद और रोजगार दिया जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो कांग्रेस की सरकार बनने पर वो इन सभी किसान परिवारों को रोजगार देने का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि करनाल लाठीचार्ज प्रकरण से देश भर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी सबक लें, अगर किसानों का किसी भी रूप में अपमान हुआ तो कुर्सी समेत अकड़ भी जाती रहेगी। अगर सरकार के इशारे पर लोकतंत्र को लट्ठतंत्र मानकर चलेंगे तो उन्हें इसका दुष्परिणाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि किसान के सत्याग्रह, संयम और संघर्ष के आगे अहंकार, अधिकारी और सत्ता का घमंड नहीं टिक पाया। करनाल में जिस प्रकार एक अधिकारी ने लोकतंत्र और संविधान की धज्जियां उड़ाकर बर्बर लाठीचार्ज का आदेश दिया था वो पूरी तरह गैर-कानूनी था। सत्य और अहिंसा की ताकत के आगे सत्ता के अहंकार को बार-बार झुकना पड़ेगा।

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