ऐलनाबाद उपचुनाव सामने लाएगा हरियाणा के भविष्य की राजनीतिक तस्वीर बंटी शर्मा सुनारिया सिरसा :~भारतीय निर्वाचन आयोग ने देश की 6 सीटों के लिए 4 अक्टूबर को राज्यसभा उपचुनाव आयोजित करने का फैसला किया हैं इसके साथ ही बिहार की 1 सीट के लिए होने वाले विधानसभा परिषद के उपचुनाव की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा कर दी गई है लेकिन अभी हरियाणा में इनेलो नेता अभय चौटाला द्वारा छोड़ी गई ऐलनाबाद विधानसभा के लिए अभी चुनाव आयोग द्वारा ना तो कोई आधिकारिक घोषणा की गई हैं और ना ही ऐलनाबाद विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए कोई बयान दिया हैं लेकिन इतना तो स्प्ष्ट है कि अभी हरियाणा की ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव नही होने जा रहा है क्योंकि भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 4 अक्टूबर तक का राज्यसभा ओर विधानसभा उपचुनाव चुनाव बारे आधिकारिक पत्र जारी कर दिया है सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर देर सबेर उपचुनाव होना तय तो हैं ही साथ ही इसमे कुछ देरी होने की सम्भावना हो सकती हैं इसके साथ साथ इस सीट पर होने जा रहा उपचुनाव हरियाणा के भविष्य की राजनीतिक रूप रेखा तैयार करेगा और अलग अलग राजनीतिक पार्टी के भविष्य का फैसला भी करेगा गौरतलब हैं ऐलनाबाद विधानसभा सीट सिरसा जिले का हिस्सा हैं जहां पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के इनेलो परिवार का कब्जा रहा है हरियाणा के बनने के बाद से ही ऐलनाबाद सीट पर लगभग इनेलो परिवार ही काबिज रहा हैं इस सीट पर चौधरी देवीलाल के परिवार से जिसने भी चुनाव लड़ा हैं उसने ही विजय हासिल की हैं यह सीट कई मायनों में खास हैं यही वो सीट हैं जहां से ओम प्रकाश चौटाला पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुँचे थे वही अभय सिंह चौटाला भी इस सीट पर कई पारी खेल चुके हैं और इस सीट पर अधिकतर समय मे चौटाला परिवार का ही कब्जा रहा है इसके साथ ही चौधरी देवीलाल परिवार किसानों के बड़े मसीहा के तौर पर जाने जाते हैं यही वजह हैं इस सीट से चौधरी देवीलाल के परिवार या उनसे जुड़ा जो भी व्यक्ति ने चुनाव लड़ा वो विधायक बनकर सदन में पहुँचा हैं कहा जाता हैं कि 1968 ओर 1991 को छोड़कर यहां सभी चुनाव में इनेलो का ही विधायक बना हैं लेकिन 1977 से में आरक्षित होने के बाद 2005 तक सीट आरक्षित रही जिसके कारण चौटाला परिवार का कोई सदस्य यहां से चुनाव नही लड़ सका लेकिन परिवार के नाम पर लोकदल के बैनर तले भागीराम ने 5 बार इस सीट पर जीत दर्ज कराई इसके बाद 2009 में यह सीट आरक्षित से सामान्य हो गई और पहले ओम प्रकाश चौटाला ओर फिर 2010 के उपचुनाव में अभय चौटाला ने चुनाव में जीत दर्ज की अब 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी इनेलो पार्टी से फिर अभय सिंह चौटाला ने विजय प्राप्त करके 2021 में किसानों के समर्थन में अपनी विधानसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया भारतीय चुनाव आयोग द्वारा कुछ समय बाद ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा होगी लेकिन अब सवाल इस सीट पर अलग अलग राजनीतिक दलों द्वारा अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा के साथ साथ आगामी 2024 में बनने वाली हरियाणा में सरकार का रोडमैप भी इसी सीट के माध्यम से होगा वर्तमान में हरियाणा में किसान आंदोलन अपने चरम पर हैं और किसानों के समर्थन में ही अभय चौटाला ने इस सीट से इस्तीफा दिया हैं वही कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र हुड्डा की बात करे तो हुड्डा भी किसानों का सबसे बड़ा हितैषी होने का दम भरता हैं और इसमे कोई दोराय नही हैं हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने पर ओर हुड्डा के मुख्यमंत्री होते हुए हरियाणा में अगर कोई वर्ग खुश था तो किसान वर्ग था हुड्डा के कार्यकाल को किसानों कमरे वर्ग की सरकार की संज्ञा दी जाती हैं हुड्डा के समय किसानों को फसलों के दाम मुँह माँगे मिलते थे ऐसा लगता था कि हुड्डा के समय किसानों की लॉटरी निकली हुई थी अगर बात भविष्य में होने वाले उपचुनाव की करे तो यहां ये कहना गलत नही होगा कि इस सीट से बड़े बड़े महारथियों का चुनाव लड़ना गलत होगा इस उपचुनाव में सभी राजनीतिक पार्टी के बड़े बड़े सुरमा चुनाव लड़ेंगे क्योकि यही उपचुनाव हरियाणा में सत्ता की चाबी हो सकता हैं वैसे इस चुनाव में इनेलो परिवार से चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का नाम सुर्ख़ियो में हैं वही कांग्रेस ओर भाजपा से अभी कोई नाम सामने नही आया हैं यह सीट जाट बाहुल्य सीट हैं यहां से सभी पार्टी का उम्मीदवार जाट जाति से ही हो सकता हैं सूत्रों के हवाले से खबर हैं यहां से कांग्रेस हाई कमान रोहतक से राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा को भी उपचुनाव में उतार सकता हैं जिस तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के परिवार से एव जेजेपी पार्टी के नेता दिग्विजय चौटाला ने सोनीपत लोकसभा सीट से भूपेंद्र हुड्डा को टक्कर दी थी उसी तर्ज पर ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चौटाला परिवार को कड़ी टक्कर देने के लिए दीपेंद्र हुड्डा को चुनाव लड़वा सकता हैं वैसे भी यदि कांग्रेस इस सीट को जीत गई तो हरियाणा में जनता का रुझान कांग्रेस की तरफ हो जाएगा और यही यहां से दीपेन्द्र हार भी जाता हैं तो 2022 तक राज्यसभा सांसद बना रहेगा इतना तो तय हैं कि इस उपचुनाव में भाजपा जेजेपी के साझे उम्मीदवार देवीलाल परिवार से ही मैदान में उतारे जा सकते है जिससे यहां काटे की टक्कर होनी तय हैं साथ ही हरियाणा में सत्ता की चाबी हो सकती हैं और हुड्डा ओर चौटाला परिवार के सामने किसानों का मसीहा भी बनने का अवसर है क्योंकि चौटाला ओर हुड्डा परिवार दोनों ही हरियाणा में अपने आप को किसानो के एक दूसरे से बड़ा नेता होने का दम भी भरते हैं और हरियाणा में किसानो के सबसे बड़ा नेता बनने का इसके अलावा दूसरा अवसर भी नही मिलेगा Post navigation बेलगाम बढ़ती महंगाई पर रोक लगाए सरकार – दीपेंद्र हुड्डा जींद रैली में प्रदेश की जनता रखेगी इनेलो शासन की नींव: अभय चौटाला