हरियाणा सरकार ने सभी विभागों की भूमि की बाजार दर के निधार्रण के लिए नीति तैयार की- वित्तायुक्त

हरियाणा सरकार ने सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में भूमि की बाजार दर के निधार्रण के लिए नीति तैयार की- वित्तायुक्त

चण्डीगढ़, 6 सितंबर – हरियाणा सरकार ने सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में भूमि की बाजार दर के निधार्रण के लिए नीति अधिसूचित की है।

वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री  संजीव कौशल ने  बताया कि इस समय सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों व  नगरीय स्थानीय निकाय संस्थाओ द्वारा भूमि के दर निधाज़्रित करने के लिए समितियों का गठन किया हुआ है और इन द्वारा अलग अलग मापदंड अपनाए  जाने के कारण क़ानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए भूमि का बाजार भाव निधाज़्रित करने में एकरूप मापदंड बनाने के उद्देश्य से यह नीति बनाई गई है।

उन्होंने बताया कि इस नीति का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि स्पष्ट आदेशों के अभाव में सरकार के कई विभाग और उनके इकाइयां भूमि के टुकड़े जो निजी निकायों की परियोजनओं की  भूमि के बीच में अप्रयुक्त (बेकार) यानि प्रयोग में नहीं आ रहे हैं, को हस्तांतरित करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। इस कारण से निजी निकायो की परियोजनाओं के तीव्र विकास में बाधा आ रही है। इसके अलावा राज्य का राजस्व भी काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा ऐसी भूमियों व अचल सम्पतियों पर कब्ज़ा या अधिकृत या अनधिकृत स्वामित्व है। परिणामस्वरूप  विभिन्न प्रासंगिक विधियों के तहत निष्फल मुकदमेबाजी होती है और बिना किसी फलदायी ठोस परिणाम के मानव संसाधनों की संलिप्ता होती है। अत: इसलिए इस नीति को बनाने की जरूरत पड़ी है।

संपत्ति का मूल्यांकन और मूल्यांककों (वैलुयुर्अस) का चयन व मूल्यांकनकर्ताओं के लिए आचार संहिता भी भूमि की कीमत निर्धारित करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि  राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग, हरियाणा राज्य से संबंधित आयकर विभाग, भारतीय स्टेट बैंक और सरकारी स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों के पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं से लिए गए मूल्यांकनकर्ताओं को सूचीबद्ध करेगा। उक्त विभाग पैनल में शामिल मूल्यांकनकर्ताओं के लिए आचार संहिता को भी अधिसूचित करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूल्यांकनकर्ता संहिता का पालन करते रहें और संहिता के उल्लंघन की स्थिति में उन्हें पैनल से हटाया जा सकता है।

इसी प्रकार, सबसे पहले, समिति में तीन मूल्यांकनकर्ताओं में से एक को संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा नामित किया जाएगा, दूसरे मूल्यांकनकर्ता को दूसरे/विपरीत पक्ष द्वारा पैनल से चुना जाएगा और तीसरे को दोनों द्वारा सहमति के अनुसार चुना जाएगा। यदि तीसरे मूल्यांकनकर्ता पर कोई सहमति नहीं है, तो उसे प्रशासनिक विभाग द्वारा नामित किया जाएगा। मूल्यांकनअपनी रिपोर्ट अनुरोध किए जाने की तारीख से 10 दिनों के भीतर प्रस्तुत करेंगे। तीन मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट प्राप्त होने के 7 दिनों के भीतर स्थायी समिति की बैठक होगी। डिविजऩल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी स्थायी समिति अपने विचार-विमर्श में भाग लेने के लिए संबंधित मूल्यांकनकर्ताओं को आमंत्रित करने के लिए स्वतंत्र होगी। इसके बाद स्थायी समिति तीन मूल्यांकनकर्ताओंं द्वारा किए गए मूल्यांकन के औसत का आकलन करेगी।

अंतिम बाजार मूल्य के निर्धारण के संबंध में श्री कौशल ने बताया कि स्थायी समिति उपरोक्त प्रक्रिया के अनुसार भूमि के बाजार मूल्य का निर्धारण करेगी, बशर्ते कि वह क्षेत्र में बिक्री विलेख के पंजीकरण के लिए भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत निधाज़्रित कलेक्टर दरों से कम नहीं होगी। इस नीति की प्रक्रिया के संबंध में उन्होंने बताया कि मंडल आयुक्त की राजस्व टीम द्वारा दस्तावेज और उनका सत्यापन किया जाएगा, जिसमें अंतिम बाजार मूल्य स्थायी समिति द्वारा सरकारी विभाग और उसकी इकाई को सूचित किया जाएगा, जैसा भी मामला हो।

यदि संबंधित निजी संस्था संदर्भाधीन भूमि के विक्रय विलेखों के पंजीकरण के लिए भारतीय स्टाम्प अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित नवीनतम कलेक्टर दर की दोगुनी राशि या उच्चतम के दो विलेखों का औसत भुगतान करने के लिए तैयार है। पिछले वर्ष के दौरान उसी प्रकार की भूमि अचल संपत्ति से संबंधित राजस्व संपदा में राशि, जो भी अधिक हो, संबंधित विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के अनुमोदन से उचित निर्णय लिया जा सकता है और इस नीति की  प्रक्रिया लागु नहीं होगी। यह स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त प्रावधान केवल सरकार या लोकल अथॉरिटी द्वारा बिक्री पर लागू होगा। पार्टी द्वारा भूमि का पूरा मूल्य और स्टाम्प शुल्क एवं निबंधन शुल्क का भुगतान होने पर संबंधित सरकारी विभाग द्वारा हस्तान्तरण विलेख (कन्वेयन्स डीड) का निष्पादन  (एक्सेक्यूटेड) कराकर पंजीयन अधिनियम 1908  के अन्तर्गत  निबंधन करवाया जायेगा

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