• सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने शहीद किसान स्व. सुशील काजल के घर पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवारजनों को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद सौंपी, ढांढस बंधाया
• बेक़सूर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाला SDM नये कृषि कानूनों के तहत किसानों के साथ न्याय कैसे करेगा – दीपेन्द्र हुड्डा
• मुख्यमंत्री ने SDM का बचाव करके साबित कर दिया कि लाठीचार्ज सरकार के इशारे पर हुआ – दीपेन्द्र हुड्डा
• जो अधिकारी सरकार की नजरों में नंबर बनाने के लिये जनता पर अत्याचार कर रहे वो याद रखें प्रजातंत्र में सरकारें बदलती रहती है – दीपेन्द्र हुड्डा

करनाल, 3 सितम्बर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज बसताड़ा टोल प्लाजा पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के बाद शहीद हुए किसान स्व. सुशील काजल के रायपुर जटान स्थित निवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवारजनों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया और चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निर्देश पर कांग्रेस विधायक दल द्वारा हरियाणा के शहीद किसानों के परिवार को दी जाने वाली 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद सौंपी। उन्होंने कहा कि किसान परिवार अकेला नहीं है हम सभी परिवार के साथ हैं। इसके बाद उन्होंने बातचीत में कहा कि किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी का तबादला करके सरकार अपने गुनाहों को छुपा नहीं सकती। नये कृषि कानूनों पर किसानों को क्यों आपत्ति है ये करनाल की घटना से स्पष्ट हो गया है। उल्लेखनीय है कि नये कृषि कानूनों में किसानों की आपत्तियों या विवाद के निपटारे के लिये SDM को अधिकृत किया गया है। ऐसे में बेक़सूर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाला SDM विवाद की स्थिति में किसानों के साथ न्याय कैसे करेगा?

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान विरोध में अंधी हो चुकी BJP-JJP सरकार ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं। यह कटु सत्य है कि बीजेपी जेजेपी सरकार, उसके नेता व अधिकारी किसानों को उकसाने की हरकतें कर रहे हैं और ये बात जगजाहिर है। उन्होंने करनाल में किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय तबादला किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा करके सरकार किसानों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। इससे ये प्रमाणित होता है कि किसानों पर लाठीचार्ज सरकार के इशारे पर हुआ है और खुद मुख्यमंत्री ने SDM का बचाव करके साबित कर दिया है कि सरकार इसमें शामिल है। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर रुटीन प्रशासनिक काम-काज का हिस्सा होता है, आरोपी अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना स्पष्ट प्रमाण है कि हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार खुद ही चाहती है कि किसानों को उकसाया जाए।

करनाल मे शांतिपूर्ण धरने पर लाठीचार्ज व उसके बाद हुई भाई सुशील काजल की दु:खद मृत्यु के बाद अब यह मात्र 3 कृषि कानून वापिस लेने की लड़ाई ही नहीं, बल्कि किसान के स्वाभिमान बनाम सत्ता के अभिमान की भी लड़ाई बन चुकी है। हम इस लड़ाई तो अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जो अधिकारी सरकार की नजरों में नंबर बनाने के लिये जनता पर अत्याचार कर रहे हैं, उनको याद रखना चाहिए कि प्रजातंत्र में सरकारें बदलती रहती हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अमले द्वारा लगातार उकसाने की हरकतों के बावजूद शांति से बैठे किसान प्रशंसा के पात्र है। उन्होंने अपील करी कि किसान शांति-संयम से रहें। लोकतंत्र में शांति, संयम ही सबसे बड़े हथियार है। हरियाणा सरकार के जानबूझ के उकसाने के प्रयासों को किसी हाल में सफल नहीं होने देना है।

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