कमलेश भारतीय हरियाणा में इन दिनों तीन नेता चर्चित हो रहे हैं और इनके क्या हाल हैं, इस पर गौर करने का मन हुआ । पहली बात ये तीनों नेता अलग अलग आयुवर्ग के हैं । सबसे पहले इनमें सबसे बड़ी उम्र वाले पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को लेते हैं । वे जब से दिल्ली की जेल से रिहा होकर आए हैं तब से आराम का एक दिन नहीं बिताया । हालांकि विरोधी यह मान कर चल रहे थे और कह भी रहे थे कि अब पहले वाले बड़े चौटाला कहां दिखेंगे ? लेकिन बड़े चौटाला ने हरियाणा के दौरे करने और पुराने कार्यकर्त्ताओं को पार्टी में वापस लाने की जो रफ़्तार पकड़ी उससे सभी दल चौंक गये हैं । वही जोश , वही ताजगी और वही पुराना हठ यानी तीसरे मोर्चे का गठन । इस सिलसिले में वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात भी कर चुके हैं । अब वे अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ फिर से तीसरे मोर्चे का गठन करना है । यह सपना या कोशिश पूरा कर पाते हैं या नहीं , यह आने वाले दिन बतायेंगे । दूसरी नेत्री हैं कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सैलजा जो पार्टी के अंदर ही नहीं बाहर भी विरोध का सामना कर रही हैं । उनके साथ शुरू से यही होता रहा । जब वे सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ती थीं तो ऐसा वे मानती हैं कि उनको हराने के लिए चौ भजन लाल व ओम प्रकाश चौटाला एक हो जाते थे । इसलिए अपना चुनाव क्षेत्र सिरसा से अम्बाला कर लिया । फिर वहां भी दिक्कत आई तो राज्यसभा का रूख किया और आजकल सिर्फ कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष हैं और सबसे बड़ी चुनौती वही कि अपने कार्यकाल में कांग्रेस प्रदेश संगठन की सूची बना पायेंगी या नहीं ? हर बार मीडिया में वे इस सवाल का जवाब टाल जाती हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के अन्य कारणों से सबसे ज्यादा मीडिया को बताती हैं ऑफ द रिकाॅर्ड कि मीडिया ने भाजपा के पचहतर पार का ऐसा हौआ खड़ा किये कि कांग्रेस को लाने के बावजूद जनता भ्रमित हो गयी । बेशक वे धरातल पर आई हैं और धरने प्रदर्शन का संचालन कर रही हैं । इसके बावजूद जैसी आक्रमक होने की उम्मीद की जा रही है वे अपने स्वभाव के चलते हो नहीं पा रही हैं । मज़ेदार बात कि इस बार जब वे हिसार अपने पैतृक आवास पर मीडिया से रूबरू हुईं तो उनसे चलते चलते एक पत्रकार ने कहा कि बहन जी , थोड़ी आक्रामक हो जाइए और वे मुस्कुरा कर रह गयीं। तीसरे युवा नेता हैं इन दोनों की तुलना में और वह हैं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा जिसने राजनीति में कदम रखते ही पहले चुनाव में सर्वाधिक वोटों के अंतर से जीत ही दर्ज नहीं की बल्कि युवा सांसद भी बने । जनसेवा का मंत्र लिया और राजनीति में ऐसे कि हर किसी को उपलब्ध और सबकी बात सुनने का सब्र । सबसे बड़ी बात जनता के बीच रहने वाला युवा नेता । हरियाणा के कोने कोने और चप्पे चप्पे पर दीपेंद्र के कदम । राहुल गांधी की छाया बन कर रहना और साथ देना लेकिन कांग्रेस हाईकमान इस युवा नेता को कोई महत्त्वपूर्ण पद देने आगे नहीं बढ़ती । यह अपने आप में एक पहेली है । किसान आंदोलन के चलते दीपेंद्र की लोकप्रियता जहां बढ़ी वहीं दुष्यंत चौटाला की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे आ रहा है । अब ऐसा है हरियाणा के तीन अलग अलग आयुवर्ग के नेताओं का हाल ।।तीनों की शुभकामनाएं । -पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation लड़कियों को आगे बढ़ने का मौका दें समाज : शंकुन्तला खीचड़ लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद कर सकूं : अर्चना ठकराल