मुजफ्फरनगर आहूत महापंचायत–

*चुनाव से पहले पश्चिम यूपी में हलचल तेज
*यूपी में बीजेपी के लिए बिगड़ते समीकरण
* महापंचायत की सफलता ही तय करेगी संसद का घेराव। 
*शासन ने पूर्व में जनपद में रहे तेज-तर्रार पुलिस अफसरों को तैनात किया

अशोक कुमार कौशिक 

5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होने जा रही किसानों की महापंचायत कई मायनों में जुदा होगी। इससे न सिर्फ आंदोलन को नई दिशा मिलेगी बल्कि, पश्चिम के सियासी समीकरण भी बदल सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि यह अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि 2022 के यूपी चुनाव का अंकुर भी यहीं से फूटेगा। इसको लेकर सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रचने वाली भाजपा को घेरने के लिए विपक्ष भी किसानों के समर्थन में खुलकर उतर गया है। हर पार्टी की नजर किसानों पर टिकी है। खासकर, राष्ट्रीय लोकदल को इससे पश्चिमी यूपी में संजीवनी की आस है। वहीं, गोपनीय रूप से तमाम राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। उनका दुख-दर्द तक साझा करने का  दिखावा किया जा रहा है। हालांकि, अभी किसान किसी मूड में नहीं हैं। 

तारीख थी 6 मार्च 1975 की, जयप्रकाश नारायण ने संसद घेरो अभियान की शुरूआत कर दी थी। उनको रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने 15000 पुलिस के जवान तैनात कर दिए थे लेकिन जयप्रकाश नारायण थे कि इतने जवानों के बाद भी खुली जीप में चल रहे थे। चारों तरफ से फूलों कि वर्षा हो रही थी और नारे लग रहे थे “जनता का दिल बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है। 

ठीक उसी प्रकार आज दिल्ली में बैठे किसान यही सोच रहे है। इस बार के मानसून सेशन में बसों में भरकर संसद के तरफ किसान जायेंगे और अपना विरोध दर्ज करवायेंगे। यद्धपि अभी 1975 जैसा माहौल नहीं बना है पर मुजफ्फरनगर में आहूत पंचायत ने हलचल अवश्य पैदा कर दी है। महापंचायत की सफलता ही तय करेगी संसद का घेराव। हरियाणा में किसानों पर बल प्रयोग के बाद किसान अब एकजुटता दिखा रहे है। सरकार को उनकी हद समझाने वाले किसान आंदोलन को हमें भी वैसा समर्थन देना चाहिए जैसा लोगों ने जेपी के संपूर्ण क्रांति को समर्थन दिया था।

जब चित्रा त्रिपाठी ने राकेश टिकैत से पूछा कि अगर सरकार रोकेगी तो क्या करेंगे तो राकेश टिकैत ने जबाब दिया कि सरकार रोकेगी तो देख लेंगे। आंदोलन को धार देने की कोशिश में जुटे मोर्चे को राजनीतिक पार्टियों के अलावा खाप, श्रमिक, छात्र और महिला आदि संगठनों का भी साथ  मिल गया है। उधर, भारतीय किसान यूनियन और मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि भाजपा महापंचायत को विफल करने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हमेशा ही जाट-मुस्लिम समीकरण रहा है, जिसका फायदा बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल को मिलता रहा, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मुजफ्फरनगर दंगे ने यह समीकरण बिगाड़ दिए और इन तीनों पार्टियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। नए समीकरणों का भाजपा पूरा फायदा उठा ले गई। किसान महापंचायत के सहारे एक बार फिर विपक्ष जाट-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने की राह टटोल रहा है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कई बड़े नेता भी किसान नेताओं के संपर्क में हैं। उधर, पंजाब में भी किसानों के सहारे सियासी जमीन तैयार की जा रही है। वहां आम आदमी पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है।

उधर किसान महापंचायत को लेकर शासन ने पूर्व में जनपद में रहे तेज-तर्रार पुलिस अफसरों को तीन से पांच सितंबर तक तैनात किया है। इनमें लखनऊ के अपर पुलिस आयुक्त यातायात श्रवण कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर संजीव वाजपेयी, अपर पुलिस अधीक्षक आगरा शिवराम यादव, सीओ बरेली चमन सिंह चावड़ा, सीओ संभल अरुण कुमार सिंह और सहायक पुलिस आयुक्त गौतमबुद्धनगर पीपी सिंह शामिल हैं। उक्त सभी अफसर पूर्व में जनपद में लंबे समय तक तैनात रह चुके हैं, जिन पर एक बार फिर शासन ने महापंचायत को लेकर भरोसा जताया है। मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली किसान संयुक्त मोर्चा की किसान महापंचायत की तैयारियों को लेकर एडीजी राजीव सभरवाल ने गुरुवार देर शाम शहर में पहुंचकर जीआईसी ग्राउंड, रेलवे स्टेशन समेत रूट मैप का निरीक्षण किया। एडीजी ने शहर के एंट्री प्वाइंट्स पर वाहन पार्किंग स्थल बनाए जाने के निर्देश दिए।प्रस्तावित किसान महापंचायत को लेकर जनपद में पांच सितंबर को अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। एडीजी राजीव सभरवाल ने बताया कि इसके लिए जोन के सभी जनपदों से पुलिस फोर्स जनपद में उपलब्ध रहेगा। वहीं, जनपद के देहात क्षेत्रों के साथ ही पुलिस लाइन का अतिरिक्त पुलिस बल भी ड्यूटी पर रहेगा। इसके साथ ही छह कंपनी पीएसी, दो कंपनी आरआरएफ और पैरामिलिट्री फोर्स भी शहर क्षेत्र में ड्यूटी पर रहेगा।

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