सरकार किसान फसलों का एक-एक दाना खरीदने का दमगज्जा ठोकती है, पर खरीदती नही : विद्रोही

28 अगस्त 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार किसान फसलों का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूलय पर खरीदने का दमगज्जा ठोकती है, पर खरीदती नही। विद्रोही ने कहा कि अभी हाल में सम्पन्न हुई हरियाणा विधानसभा सत्र में कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के एक सवाल के जवाब में भाजपा सरकार ने बताया कि वर्ष 2021 खरीफ सीजन के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केवल डेढ़ लाख मीट्रिक टन बाजरा खरीदने का लक्ष्य रखा है। सवाल उठता है कि जब हरियाणा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मात्र डेढ़ लाख मीट्रिक टन बाजरा खरीदने का लक्ष्य रखा है, यह तो मात्र कुल बाजरा उत्पादन के 7 से 8 प्रतिशत की ही खरीद होगी। ऐसी स्थिति में स्वभाविक है कि बाजरा उत्पादक किसानों को अपना 92 से 93 प्रतिशत बाजरा निजी अनाज व्यापारियों को औनेपौने दामों में बेचने को मजबूर होना पड़ेगा। 

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में अहीरवाल क्षेत्र का किसान सबसे ज्यादा बाजरा उत्पादक है। सरकार के इस रवैये से दक्षिणी हरियाणा के किसानों पर भारी आर्थिक चोटे पडनी तय है। वर्ष 2020 में किसान आंदोलन के चलते जब भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक दक्षिणी हरियाणा को छोड़कर प्रदेश में कहीं भी घुसने की स्थिति में नही थे तब भाजपा खट्टर सरकार काले कृषि कानूनों के रोष को कम करने की राजनीति के तहत दक्षिणी हरियाणा में एमएसपी पर 7.76 लाख मीट्रिक टन बाजरा खरीदा था। सरकार की रणनीति का असर यह रहा जब वर्ष 2021 में पूरा हरियाणा काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत है, तब दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल सरकारी भक्ति में मग्न था। अहीरवाल के किसानों को शेष हरियाणा के किसानों से अलग-थलग करने की रणनीति में सफलता मिलतेे ही भाजपा खट्टर सरकार ने अपना असली किसान विरोधी चेहरा दिखाना शुरू कर दिया। तभी तो वर्ष 2020 खरीफ सीजन 7.76 लाख मीट्रिक टन खरीद की तुलना में भाजपा सरकार 2021 खरीफ सीजन में 80 प्रतिशत कम बाजरा मात्र डेढ़ लाख मीट्रिक टन एमएसपी पर खरीदने का लक्ष्य निर्धारित करके चल रही है। 

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकार की घोषणा के अनुसार एमएसपी पर धान की खरीद 25 सितम्बर से 15 नवम्बर तक चलेगी। वहीं बाजरे की एमएसपी पर खरीद एक अक्टूबर से 15 नवम्बर तक चलेगी। सरकार के अनुसार अभी तक 2 लाख 45 हजार किसानों ने एमएसपी पर अपना बाजरा बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाया है। किसानों के पास लगभग एक माह का समय बाजरा बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने का और है। सवाल उठता है कि यदि सरकार अभी तक के रजिस्ट्रेशन अनुसार 2.45 लाख किसानों से मात्र डेढ़ लाख मीट्रिक टन ही बाजरा खरीदेगी तो यह तो ऊंट के मुंह में जीरा समान खरीद होगी और किसानों के साथ खुली धोखाधड़ी होगी। विद्रोही ने मांग की कि भाजपा सरकार एमएसपी पर खरीद के नाम पर बाजरा उत्पादक किसानों को ठगने की बजाय मंडियों में आने वाले किसान के बाजरे का एक-एक दाना 2250 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 31 दिसम्बर 2021 तक खरीदे। 

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