12 अगस्त 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोनसून सत्र में ओबीसी कानून में संशोधन करके भाजपा अर्धसत्य बोलकर पिछड़े वर्ग को ठगकर उनकी वोट हड़पना की फिराक में है। विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यही है कि मोदी-भाजपा-संघ पिछड़े वर्ग के आरक्षण विरोधी थे, है और और रहेंगे। पिछडे वर्ग आयोग को तीन वर्ष पूर्व संवैद्यानिक दर्जा देकर मोदी सरकार ने जो कानून बनाया था, उसमें जान-बूझकर संघी सरकार ने ऐसी खामियां छोडी जिससे राज्यों को पिछडी जातियां तय करने का अधिकार न रहे व धीरे-धीरे पिछडों के आरक्षण पर संघी कुल्हाड़ी चला सके। लेकिन तमिलनाड़ू हाईकोर्ट में द्रमुक द्वारा दायर याचिका के चलते संघीयों का यह षडयंत्र बेनकाब हो गया और जब मोदी-भाजपा-संघ को लगा कि ओबीसी हितैषी होने का ढोंग बेनकाब हो गया तब उन्होंने फिर ओबीसी कानून में आधा-अधूरा, लंगड़ा-लूला संविधान संशोधन करके मोनसून सत्र में फिर से राज्यों को ओबीसी जातियों की पहचान करने का अधिकार देने को मजबूर होना पड़ा। विद्रोही ने सवाल किया कि लम्बी-चौड़ी हांककर पिछड़े वर्ग का हितैषी होने का ढोंग करने वाले भाजपाईयों-संघीयों को बताना चाहिए कि तीन वर्ष पूर्व पिछडे वर्ग को संवैद्यानिक दर्जा देने के बहाने किये गए संशोधन में मोदी-भाजपा सरकार ने राज्यों से पिछड़ी जातियों की पहचान करने का अधिकार क्यों छीना था? इस अधिकार को छीनने के कारण ही पिछले तीन साल से ओबीसी युवाओं को नीट परीक्षा में मेडिकल शिक्षा के पोस्ट ग्रेजुएट व अंडर ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सो में 27 प्रतिशत आरक्षण नही मिल पा रहा था। इसका जिम्मेदार मोदी-भाजपा-संघ नही तो और कौन है? विद्रोही ने कहा कि अब मजबूरी में मोदी-भाजपा सरकार ने मोनसून सत्र में संविधान संशोधन करके राज्यों को पिछडी जातियों की पहचान करने का आधा-अधूरा अधिकार दिया है। इस संशोधन में आरक्षण सीमा को न तो 50 प्रतिशत से ज्यादा बढाया है और न ही पिछड़ी जाति की जातिगत जनगणना का प्रावधान किया है। आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा न बढ़ाने से पिछडे वर्ग के लिए यह संशोधन उस खाली बर्तन की तरह है जो बजता बहुत पर उसमें पानी नही है। यदि राज्यों ने नई जातियों को पिछडी जातियों में शामिल कर भी लिया तो 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा में ही उन्हे समायोजित करना होगा। वहीं विद्रोही ने कहा कि इस ओबीसी कानून में पिछडी जातियों की जनगणना करने का प्रावधान नही करके मोदी सरकार ने पिछडी जातियों की वास्तविक जनसंख्या कितनी है, इसको अवरूद्ध करके आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाने का भी रास्ता बंद करने का कुप्रयास किया है। आखिरकार मोदी-भाजपा संघी सरकार पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना से घबरा क्यों रही है? विद्रोही ने पिछडे वर्ग के लोगों से अपील की कि वे भाजपा के झांसे व षडयंत्रों में न फंसे और किसी भी हालत में भाजपा को ताकत देकर अपने पैरों पर कुल्हाडी मारने का काम न करे। Post navigation असली कांग्रेस का सवाल उठा आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी आंदोलन