चंडीगढ़, 6 अगस्त- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में अगर कोई खनन पट्टाधारक सहमति पत्र जारी होने कद्घी तिथि से 12 महीने के भीतर पर्यावरण संबंधी स्वीकृति और संचालन की सहमति हासिल नहीं कर पाया तो उसे पहले 6 महीनों के लिए अब वार्षिक बोली राशि का एक प्रतिशत जबकि अगले 6 महीनों के लिए प्रत्येक माह के लिए वार्षिक बोली राशि का 2 प्रतिशत देना होगा। श्री मनोहर लाल ने कहा कि ऐसे ठेकेदारों को देय राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना होगा जो ठेका शुरू होने की तिथि से लागू होगा। हालांकि ब्याज की राशि कुल देय राशि के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इसके अलावा, ठेके की अवधि नहीं बदलेगी यानि अवधि शुरू होने की तिथि वही रहेगी जो पहले निर्धारित है।

मुख्यमंत्री आज यहां सालों से लंबित खनन संबंधी विवादों व समस्याओं के समाधान के मकसद से बुलाई गई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में खान एवं भू-विज्ञान मंत्री श्री मूलचंद शर्मा भी मौजूद रहे। बैठक में प्रदेशभर से खनन पट्टाधारकों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था।

उन्होंने कहा कि जिन ठेकेदारों द्वारा 3 मई 2021 के विभागीय नियम संशोधन से पहले ठेका रद्द करने की मांग की गई थी और उसे अस्वीकार कर दिया गया था, ऐसे सभी मामलों में ठेका रद्द करने के लिए अनुरोध (यदि सरेंडर पूरे क्षेत्र के लिए मांगा गया है)जमा करवाने की तिथि से 2 महीने की देय राशि के बराबर राशि या ठेका रद्द करने के आदेश पारित करने की तिथि, जो भी पहले हो, तक का भुगतान ठेकेदार द्वारा किया जाएगा। परंतु यदि ठेका रद्द करने का अनुरोध प्रस्तुत करने के बाद भी खनन कार्य बंद नहीं किया गया, तो इसके अनुसार 2 महीने की अवधि की गणना खनन कार्य बंद करने की तिथि से की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन मामलों में खनन ठेकेदार अनुबंधों को निष्पादित नहीं कर सके और खानों का संचालन नहीं कर सके, ऐसे मामलों में नीलामी के समय जमा करवाई गई प्रारंभिक सिक्योरिटी राशि (बोली राशि का 10 प्रतिशत) को जब्त करते हुए रद्द कर दिया जाएगा। बोली राशि का 15 प्रतिशत राशि तथा विभाग द्वारा मांगी गई किसी भी तरह की अन्य राशि माफ कर दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि अगर खनन ठेका इस आधार पर छोडऩे या सरेंडर करने की मांग की गई थी कि खान क्षेत्र आरक्षित वन, अरावली परियोजना वृक्षारोपण के अंतर्गत पाए जाने पर 50 प्रतिशत से कम पाया गया है तो ऐसे मामले में ठेका समाप्त माना जाएगा और किसी भी पक्ष की कोई देयता नहीं होगी। प्रस्तावित उत्पादन के 50 प्रतिशत से कम उत्पादन के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त होने की स्थिति में ठेका समाप्त माना जाएगा और किसी भी पक्ष की कोई देयता नहीं होगी। इसी तरह, जिन विषयों में पर्यावरण मंजूरी, स्थापना या संचालन की सहमति से इंकार कर दिया गया था, ऐसे मामलों में भी ठेका समाप्त माना जाएगा और किसी पक्ष की कोई देयता नहीं होगी। 

श्री मनोहर लाल ने कहा कि यदि किसी ठेकाधारक को आवंटित खान के क्षेत्रफल का 25 से 50 प्रतिशत भाग किन्हीं कारणों से कम हो जाता है तो ऐसे सभी मामलों में वार्षिक ठेका राशि क्षेत्र के अनुपात में कम कर दी जाएगी। हांलाकि विवादित खनन क्षेत्र कुल क्षेत्र के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ठेकेदार द्वारा खनन करते हुए पहले 3 वर्षों के दौरान किए गए खनन की मात्रा कुल मंजूरी की मात्रा का 90 प्रतिशत या उससे अधिक होनी चाहिए। खनन क्षेत्रों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी होने पर भी ठेका राशि में अधिकतम 50 प्रतिशत राशि ही कम की जाएगी।

पर्यावरण मंजूरी लेने के उपरान्त अगर प्रदूषण् नियंत्रण बोर्ड ने कंसेंट टू इस्टेबलिश/कंसेंट टू आप्ररेट न दी है या दिए जाने के उपरान्त माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई, उस अवधि की ठेका राशि को छोड़ दिया जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरेंडर के लिए एप्लीकेशन देने पर माइनिंग बंद होने की तिथि से 2 महीने बाद अनुबंध को खत्म माना जाएगा और ठेकेदार को केवल 2 महीने के पैसे ही देने पड़ेंगे। सरेंडर की तिथि के बाद उन्हें 2 किस्तें चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जो ठेके 31 मार्च 2010 से पहले समाप्त हो चुके हैं, उनकी पूरी बकाया राशि 90 दिन के अंदर जमा करवा दी जाती है तो ब्याज की सारी राशि माफ कर दी जाएगी। इसी तरह, जो ठेके पहली अप्रैल, 2010 के बाद खत्म हुए हैं या अभी चल रहे हैं, ऐसे मामलों में 90 दिन के अंदर सारी बकाया राशि जमा करवाने पर ब्याज की 50 प्रतिशत राशि माफ कर दी जाएगी। हालांकि, ब्याज की राशि अगले 90 दिन के अंदर जमा करवानी होगी।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि इस वर्ष बजट सेशन में की गई घोषणा के अनुसार ‘विवादों से समाधान’ कार्यक्रम के तहत खनन ठेकेदारों के सालों से लंबित विवादों को सुलझाने के मकसद से उन्हें ये रियायतें दी गई हैं। इससे एक तरफ जहां ठेकेदारों को लाभ होगा वहीं राज्य सरकार को भी राजस्व मिलेगा और प्रदेश में खनन गतिविधियों को सुचारू बनाया जा सकेगा।

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी.उमाशंकर, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आलोक निगम, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह तथा खान एवं भू-विज्ञान विभाग के महानिदेशक मोहम्मद शाइन के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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