कपास फसल के उत्पादन बढ़ाने, कीट व रोगों के समाधान के प्रति करेगा जागरूक

हिसार : 5 अगस्त – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास फसल के उत्पादन बढ़ाने, कीट व रोगों के समाधान के प्रति करेगा जागरूक करेगा। विश्वविद्यालय की ओर से उन्हेें प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे संबंधित गांवों में जाकर किसानों की समस्याओं का समाधान कर सकें। प्रशिक्षण संबंधित कृषि विज्ञान केंद्रों पर आयोजित किए जाएंगे जिसमें जिले के एसडीओ, बीएओ, एडीओ सहित अन्य कृषि विस्तार अधिकारी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने बताया कि पिछले कई दिनों से विभिन्न कपास उत्पादक जिलों में उन्होंने स्वयं वैज्ञानिकों की टीम के साथ दौरा कर फसलों का जायजा ले रहे हैं। इसी के तहत सामने आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन सालों में कपास की फसल में पेराविल्ट, विल्ट, रस चूसक कीटों सहित अन्य कीटों के प्रकोप के चलते आई समस्या से फसल उत्पादन कम हुआ था जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इसलिए भविष्य में ऐसी समस्या न आए इसके लिए प्रशिक्षण शिविर अगस्त माह के प्रथम पखवाड़े से शुरू किया जाएगा जिसे सितंबर माह में भी जारी रखा जाएगा।

कपास उत्पादक क्षेत्रों को किया जाएगा शामिल

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के उन क्षेत्रों के कृषि विकास अधिकारियों को मुख्य रूप से शामिल किया जाएगा जहां कपास अधिक मात्रा में बोई जाती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए निदेशालय की ओर से एक शेड्यूल भी बना दिया गया है जिसमें मुख्य रूप से भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, सिरसा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, फतेहाबाद, जींद, रोहतक, झज्जर व पलवल जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों में कार्यरत हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विस्तार अधिकारियों के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्रों पर ही किया जाएगा ताकि उन्हें प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों से भी कराया जाएगा अवगत

इस प्रशिक्षण शिविर में अधिकारियों को विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों से अवगत कराया जाएगा ताकि किसान उसी अनुरूप अपनी फसलों में इनका प्रयोग करें। पिछले सालों में देखने में आया है कि किसान जागरूकता के अभाव या फिर किसी अन्य कारणों से विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों का समुचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं जिसके चलते कपास फसल की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई थी। साथ ही बिना कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के किसानों द्वारा फसलों पर कीटनाशकों व फफूंदनाशकों के अंधाधुंध छिडक़ाव से आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा था।

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