-मुख्य सचिव को दिए दोषी नप अधिकारियों पर सर्विस रूल के तहत अनुशासनात्मक एवं दंडनात्मक कार्रवाई के आदेश
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की मदद से आरटीआई कार्यकर्ता पहुंचा था हाईकोर्ट
-हाई कोर्ट की सख्ती के बाद दोषी अधिकारियों पर एक सप्ताह में कार्रवाई के हुए आदेश

भिवानी, 04 अगस्त। भिवानी नगर परिषद की विवादित कार्यशैली पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने तलख टिप्पणी के साथ आरटीआई की सूचना नहीं देने पर नप अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए शहरी विकास एवं निकाय विभाग के मुख्य सचिव को भिवानी नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय यादव, निवर्तमान सचिव राजेश महता, सेवानिवृत्त कर्मचारी कंवरसेन के खिलाफ सर्विस रूल के तहत अनुशासनात्मक एवं दंडनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद भिवानी नगर परिषद ने जवाब दिया कि एक सप्ताह के अंदर आरटीआई कार्यकर्ता को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। जिस पर हाई कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के आदेश दिए हैं। भिवानी निवासी साधुराम ने नगर परिषद से 26 फरवरी 2016 को अपने प्लाट की असेसमेंट व अन्य जानकारी जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी थी। जिस पर नगर परिषद की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद साधुराम ने राज्य सूचना आयोग में प्रथम और द्वितीय अपील भी लगाई। राज्य सूचना आयोग ने भी दो बार नप अधिकारियों को नप अधिकारियों को सूचना देने के आदेश दिए और आरटीआई कार्यकर्ता को चार हजार रुपये हर्जाना देने के भी आदेश दिए थे। लेकिन राज्य सूचना आयोग के दोनों ही आदेशों पर नप अधिकारियों ने कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया। जिसके बाद साधुराम स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार से मिला।

बृजपाल सिंह परमार ने आरटीआई कार्यकर्ता साधुराम की अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से 2 अगस्त को हाई कोर्ट में याचिका डलवाई। हाई कोर्ट ने 3 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करते हुए तलख टिप्पणी की और शहरी विकास एवं निकाय विभाग के मुख्य सचिव को नप के कार्यकारी अधिकारी संजय यादव, निवर्तमान सचिव राजेश महता व रिटायर्ड कर्मचारी कंवरसेन के खिलाफ सर्विस रुल के तहत अनुशासनात्मक और दंडनात्मक कार्रवाई एक सप्ताह के अंदर करने के आदेश दिए हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि अगर विभाग ने दोषी अधिकारियों पर एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई नहीं की तो हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना मामले में फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। 

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