गृहमंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री के साथ ‘दोस्ती’ के रिश्ते पर लगाई मुहर

ऋषि प्रकाश कौशिक

 मॉनसून की बौछारों से भी तेज हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के गुस्से की बौछार गिरी हैं। हुक्म ना मानने वाले अफसरों पर गरजे और बरसे हैं। बहुत कम लेकिन कड़े शब्दों में अनिल विज ने उन अफसरों को खामियाजा भुगतने की चेतावनी भी दी है जो मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के रिश्तों को ३६ (छत्तीस) के आकड़े की तरह पढ़ते हैं और कामकाज का माहौल बिगाड़ते हैं।    गृहमंत्री ने पीड़ा में डूबे शब्दों के साथ छोटा-सा संदेश अपने व्हाट्ऐप ग्रुप के  सदस्यों के साथ शेयर किया है। अँग्रेजी में भेजे संदेश का अनुवाद कुछ इस तरह है-

”माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ अधिकारी मेरे विभागीय कार्यों में इस प्रकार बाधा डाल रहे हैं मानो मैं और मुख्यमंत्री एक दूसरे के विरुद्ध हों। वे बहुत बुरी तरह गलत हैं। मैं और माननीय मुख्यमंत्री अच्छे दोस्त हैं। यह गंदा खेल खेलने वाले अधिकारियों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अनिल विज एचएम”

यह बात सार्वजनिक करने का अर्थ यही है कि उनके सब्र का बांध टूट गया है। पिछले दिनों विज ने दिल्ली दरबार में जाकर केंद्रीय नेतृत्व से भी शिकायत की थी कि अफसर मेरी सुनते नहीं हैं; मेरे आदेश की पालना नहीं होती। व्हाट्सऐप के इस संदेश से यह अर्थ भी सामने आ रहा है कि आला कमान को शिकायत करने का कोई सकारात्मक नतीज़ा नहीं निकला इसलिए उन्होंने आर पार का फैसला करने के मूड से यह जंग शुरू की है। 

किसी भी प्रदेश के गृहमंत्री ने पहले कभी ऐसी सफाई नहीं दी होगी कि उनके मुख्यमंत्री के साथ अच्छे रिश्ते हैं और दोनों अच्छे दोस्त हैं। विज साहब की सफाई पर कई प्रश्न चिह्न लगते हैं। दो लोगों के बीच दोस्ती के सम्बंध सभी को साफ़ दिखाई देते हैं। ठीक वैसे ही खटास वाले संबंध भी किसी से छुपे नहीं होते। मंत्रिमंडल के बाकी मंत्रियों को तो ऐसी सफाई नहीं देनी पड़ी क्योंकि मुख्यमंत्री से उनके सम्बंध साफ़ दिखाई दे रहे हैं।    

गृहमंत्री अफसरों को तो धमका कर अपनी बात उनके गले उतार देंगे। पार्टी के पदाधिकारी और पार्टी के छोटे बड़े कार्यकर्ताओं को कैसे यकीन दिलाएंगे कि मुख्यमंत्री उनके मित्र हैं। मुख्यमंत्री की ओर से भी तो सखा भाव दिखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कभी दोस्ताना संबंधों का इजहार किया होता तो क्या मजाल अफसरों की, वे गृहमंत्री के आदेश की अवहेलना कर दें। अफसरों के पास संदेश ऊपर से ही आता है, यह सरकारी कार्यप्रणाली की सच्चाई है और अनिल विज जानबूझ कर इस सच्चाई पर पर्दा डालना चाह रहे हैं। 

संदेश गौर से पढ़ने पर गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के रिश्तों की परतें स्वतः खुल जाएंगी। गृहमंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ अधिकारी मेरे विभागीय कार्यों में इस प्रकार बाधा डाल रहे हैं मानो मैं और मुख्यमंत्री एक दूसरे के विरुद्ध हों। अधिकारियों को कैसे पता है कि गृहमंत्री के काम में बाधा डालने से मुख्यमंत्री खुश होते हैं। यदि मुख्यमंत्री खुश नहीं होते हैं तो क्या उन्होंने कभी काम में बाधा डालने वाले अधिकारियों को डाँटा या उन पर कोई कार्रवाई की।

गृहमंत्री से बेहतर कौन जानता है कि सरकारी कामकाज में बाधा डालना बहुत बड़ा अपराध है। क्या किसी की  शह के बिना कोई अफसर सरकारी कामकाज में बाधा डालने जैसा अपराध कर सकता है?

यदि मुख्यमंत्री ने ऐसे अपराध के लिए अफसरों को नहीं डाँटा या कोई कार्रवाई नहीं की तो क्या अनिल विज ने उदंड अफसरों के साथ नरमी का रूख अपनाने की वजह अच्छा दोस्त होने के नाते कभी मुख्यमंत्री से पूछी! अनिल विज और मुख्यमंत्री की ‘अच्छी दोस्ती’ इस बयान से पहले भी पूरा प्रदेश समझ रहा था और बयान के बाद भी समझ रहा है। सलामत रहे दोनों का दोस्ताना। 

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