आईजी भारती अरोड़ा अब कृष्ण भक्ति की राह पर आगामी जीवन बिताना चाहती हैं, मांगी वीआरएस

1998 बैच की आइपीएस भारती अरोड़ा ने सात सितंबर 1998 को सेवा शुरू की थी. भारती अरोड़ा की सेवानिवृत्ति 31 मार्च 2031को निर्धारित है.
भारती अरोड़ा प्रदेश की पहली महिला अफसर है जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है

चंडीगढ़. हरियाणा पुलिस की अधिकारी एवं अंबाला रेंज की आईजी भारती अरोड़ा ने सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है. वो पुलिस की नौकरी से तुरंत वीआरएस चाहती हैं. मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखा उन्होंने ये आवेदन किया. उन्होंने कहा कि उन्हें 1 अगस्त से रिलीव किया जाए. भारती अरोड़ भी अम्बाला रेंज के आईजी के पद पर तैनात हैं.  भारती अरोड़ा अब कृष्ण भक्ति की राह पर आगामी जीवन बिताना चाहती हैं.

भारती अरोड़ा प्रदेश की पहली महिला अफसर है जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है. उन्होंने तीन महीने के नोटिस पीरियड से भी छूट देने का आग्रह किया.  फिलहाल भारती के आवेदन को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. लेकिन कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनको समझाने बुझाने में लगे हैं.

बता दें कि  पचास वर्ष की हो चुकीं भारती का विवाह हरियाणा कैडर के आइपीएस विकास अरोड़ा से हुआ है. वह हरियाणा में राजकीय रेलवे पुलिस में एसपी, अंबाला एसपी, कुरुक्षेत्र एसपी, राई स्पो‌र्ट्स कांप्लेस में प्रिंसिपल, करनाल रेंज में आइजी रहीं हैं. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए उन्होंने 24 जुलाई 2021 को पत्र लिखा था.

कृष्ण भक्ति में बिताना चाहती हैं शेष जीवन

भारती वीआरएस के लिए आवेदन नहीं करती तो उनकी सेवानिवृत्ति वर्ष 2031 में होनी थी. लेकिन एक दशक पहले उन्होंने अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा उनके लिए गर्व और जुनून रही है. वह अब जीवन का लक्ष्य हासिल करना चाहती हैं और गुरुनानक देव, चैतन्य महाप्रभु, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई की राह चलकर अपना शेष जीवन प्रभु श्रीकृष्ण की भक्ति में बिताना चाहती हैं.

नई दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हुए बम ब्लास्ट के समय भारती अरोड़ा हरियाणा राजकीय रेलवे पुलिस में एसपी थीं. उस प्रकरण की जांच में आइपीएस भारती अरोड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका थी. वह जहां-जहां एसपी या आइजी रहीं उनकी कार्यशैली प्रभावित करने वाली रही. हाल ही में प्रदेश में अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने (कबूतरबाजी) के मामले की जांच को भी उन्होंने सिरे तक चढ़ाया.

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